भारत का संविधान लिखने वाले बाबा साहेब डॉ.भीमराव आंबेडकर की 132वीं जयंती हो गई। देश की आजादी का अमृत महोत्सव भी हो गया। लेकिन देश में अभी भी जाति व्यवस्था को कायम रखने के हिमायती वंचितों को मिलने वाले अधिकारों को हजम नहीं कर पा रहे। (Baba Saheb’s face blackened)
जैसे वंचित समुदाय मानता है कि बाबा साहेब ने ही उनको अधिकार दिलाकर सम्मानजनक जीने का अधिकार दिया, उसी बात को जातिवादी सवर्ण मानते हैं कि आंबेडकर की वजह से ही वंचितों ने उनकी बराबरी करना शुरू कर दी है। यही बात उनको अखरती है और वो अक्सर अपनी खीज बाबा साहेब की मूर्तियों पर निकालते रहे हैं।
14 अप्रैल को अमरोहा जिले के गांव दियावली खालसा में जब तक आंबेडकर जयंती समारोहों की धमक रही, खुराफाती सवर्ण जातिवादी तत्वों की हिम्मत नहीं पड़ी। जब समारोह के बाद सब सो गए तो उन्होंने गांव के मुख्य चौराहे पर लगे बोर्ड पर बनी बाबा साहेब की तस्वीर पर कालिख पोत दी। (Baba Saheb’s face blackened)
सुबह को जब लोगों की नजर पड़ी तो वो गुस्से से भर गए। सूचना पर हसनपुर थाने की पुलिस घटनास्थल पहुंची और पूछताछ करके कार्रवाई का आश्वासन देकर चली गई।