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Thursday, May 1, 2025
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‘पीएफआई भारत का मुस्लिम ब्रदरहुड, न फैलने दें इसकी नफ़रती जड़ें’

चरमपंथी संगठनों के नापाक मंसूबे नाकाम करें: मुफ्ती सलीम

बरेलीपीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया पर पांच साल के बैन के बाद मुस्लिम खानकाहाें ओर दरगाहों में हलचल का माहौल है। अमनपसंद मुस्लिम धर्मगुरुओं ने पीएफआई पर कार्रवाई को जायज़ ठहराकर कार्रवाई को न सिर्फ़ जायज़ ठहराया है, बल्कि पीएफआई की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से करके नौजवानों को चरमपंथ की चपेट में आने से रोकने की अपील की है। (PFI Is Muslim Brotherhood)

पीएफआई के सिलसिले में आला हज़रत दरगाह से जुड़े मुफ्तियाने किराम के संगठन सौहार्द कौंसिल ने गहराई से चर्चा की और समाज व देश हित में ठोस कदम उठाने की बात कही। चर्चा के दरम्यान कहा गया कि आला हज़रत और मुफ्ती-ए-आज़म के बताए तरीके के मुताबिक- सुन्नी, सूफी, खानकाही विचारधारा के ज़रिए मुल्क में फैली नफरत और हिंदू-मुस्लिम दूरी को खत्म किया जा सकता है, जिसके लिए कोशिशें जारी हैं। इसके लिए वेबिनार, सिम्पोज़ियम, लेखों, आपसी सौहार्द कार्यक्रम कर देशभर में सूफी विचारधारा के प्रसार से देशवासियों के जेहन से नफ़रत का जहर निकालना अहम मकसद है।

वेबिनार के जरिए मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम के वरिष्ठ शिक्षक और दरगाह-ए-आला हजरत के इतिहासकार मुफ़्ती मोहम्मद सलीम बरेलवी ने कहा, आज देश के नौजवानों, छात्रों और जनप्रतिनिधियों से सौहार्द स्थापित करने की अपील की गई। उन्होंने कहा, भारत को चरमपंथ, नफरती संगठनों, अशान्ति फैलाने वालों से बचाने की कोशिश करें।

नेपाल के मौलाना फूल मोहम्मद नेमत रज़वी ने कहा, ‘भारत हमारा पड़ोसी व मित्र देश है, जिससे हमारा रोटी और बेटी का साथ है। लिहाजा यहां फैलने वाली अशांति और नफरत का असर हमारे देश पर भी पडता है। उन्होंने कहा, पीएफआई जैसे संगठनों को दुत्कार देना चाहिए। यह भारत का मुस्लिम ब्रदरहुड है। मुस्लिम ब्रदरहुड खास आर्थिक संरचना वाला कट्टरपंथी आंदोलन है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर का है। मुस्लिम ब्रदरहुड बहुत ही गोपनीय तरीके से करता है, जो इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाता है। मुस्लिम ब्रदरहुड अपने काम को जल्दबाजी में नहीं करता, बल्कि इसे ढांचागत और कानूनी तरीके से करता है।’ (PFI Is Muslim Brotherhood)

मुस्लिम ब्रदरहुड के इतिहास पर रौशनी डालते हुए मुफ्ती कासिम संभली ने कहा कि मिस्र में आंदोलन की शुरुआत से ही मुस्लिम ब्रदरहुड के संस्थापक और नेता एक वैश्विक वित्तीय ढ़ांचे की स्थापना करने के लिए काम कर रहे थे। शुरूआत से ही वित्तीय ढांचा बनाने का काम सदस्यता और जकात से किया जा रहा था। जैसे ही आंदोलन विकसित हुआ, दावा (Dawah) यानी प्रचार माध्यम कि आधारभूत संरचना तैयार कर ली गई जो इस संगठन का अहम स्रोत बन गया। इसके साथ ही मस्जिदों और इस्लामिक केंद्रों से जकात इकठ्ठा करने का केंद्र बनाया गया, व्यापारियों ने चैरिटेबल कोष में दान दिया। हमें ऐसे किसी संगठन की जरूरत नहीं, हमारी खानकाहें और दरगाहें आपसी सौहार्द के साथ दीन व मजहब का बेहतर काम कर रही हैं।

मुस्लिम ब्रदरहुड की कार्यशैली पर रौशनी डालते हुए मुफ्ती इरशाद मंजरी ने कहा, मुस्लिम ब्रदरहुड ने 1990 की शुरूआत में खासतौर पर यूरोपीय देशों में बहुत सारे इस्लामिक समूह बनाए। सबसे पहले वो अपने आप को मानवीय कार्य के लिए समर्पित जैसा दिखाते हैं जिससे उन्हें हमदर्दी हासिल होती है और अपने सामाजिक कार्य को दिखाकर धन इकट्ठा करते हैं, जिसका इस्तेमाल यूरोप में नफरत फैलाने में किया जाता है। (PFI Is Muslim Brotherhood)

भारत देश में पनप रहा चरमपंथी संगठन पीएफआई भी मुस्लिम ब्रदरहुड जैसी ही कार्यप्रणाली पर काम कर रहा है। इनकी वजह से नफरत फैलाने वाले हिंदू संगठनों को इस्लाम और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ सांप्रदायिक तनाव पैदा करने और इस्लाम की सूरत बिगाड़ने का मौका मिलता है।

भारत ने पीएफआई जैसे कट्टरपंथी संगठन और इसकी सहायक शाखाओं को पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया है। यह तो हुकुमत का काम था जो उसने किया, मगर हमारी अपने नौजवानों से अपील है कि वे ऐसे संगठनों से चौकन्ने रहें और आपसी सौहार्द के लिए जो हो सके, वह प्रयास करें। इसी में हम सबकी और समस्त देशवासियों की भलाई है।


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