– राजेश चौधरी
जय भीम नमो बुद्धाय कहकर
वो अम्बेडकरवादी बन जाते हैं,
मनुवाद – ब्राह्मणवाद को गालियां देकर जागरूकता अभियान चलाते हैं ।
खुद की बीबी करवा चौथ का व्रत रखती दूसरों को गरियाते हैं ।
अपने बच्चों की शादी हिन्दू रीति से करते ,
फिर अपने बच्चों की खुशी कह कर अपनी काली करतूत छिपाते हैं ।
बच्चे इनके हमेशा अम्बेडकरवाद से अपरिचित रहते ,
दूसरों को मानसिक गुलाम बताते हैं।
जाति का संगठन बनाकर जात पात मिटाते हैं ,
अपनी जाति को ग्रेट बता कर खुद मनु की मानिंद इतराते हैं।
अंतरजातीय विवाह पर बहुजनों को फटकार लगाते हैं,
गरीबों से चंदा लेकर अपने फोटो लगे कैलेंडर खूब बंटवाते हैं।
विदेशों में मौज मस्ती करते ,
भारत के प्रसिद्ध बौद्ध विहारों में कभी न देखे जाते हैं।
उच्च पदों पर आसीन रहते वक़्त बहुजनों को विभागीय नियमावली समझा कर अपनी मजबूरी जताते हैं ,
फिर नियमों से परे जाकर खुद ही मनुवादियों के सारे काम झट से करवाते हैं ।
जिन जिलों में रहती हैं तैनाती इनकी ,
वहां पीड़ितो के परिवार इनको झूठा , जुमलेबाज बताते हैं।
कुछ तो अनोखे निराले हैं (Unique Ambedkarwadi Rajesh Chowdhary)
बेटी की शादी बौद्ध रीति से करा कर सारा दहेज बचा ले जाते हैं,
बेटे की शादी हिन्दू रीति से कर भारी भरकम दहेज ले आते हैं।
खूब पढ़ो, खूब पढ़ो कह कर भाषणों में खूब चिल्लाते हैं,
सर्वगुण संपन्न होकर भी एक बहुजन बच्चे की प्राईमरी की फीस भी न भर पाते हैं ।
बहुजनों के सक्षम लोग मिलकर न कोई कॉलेज, अस्पताल न इंस्टीट्यूट खुलवाते हैं ,
करोड़पति होकर भी अपनी गरीबी पर घड़ियाली आंसू बहाते हैं।
बस ताउम्र जुबानी जागरूकता अभियान चलाते हैं,
जय भीम नमो बुद्धाय कह कर अम्बेडकरवादी बन जाते हैं।
(Unique Ambedkarwadi Rajesh Chowdhary)