जितेंद्र नारायण सिंह, जो कभी वसीम रिज़वी हुआ करते थे, उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो की सत्यता का तो पता नहीं लगाया गया है, लेकिन जितेंद्र नारायण इसमें जो बात कह रहे हैं, उस पर मुसलमानों की ओर जबर्दस्त रिएक्शन आ रहे हैं। इन रिएक्शंस में आम बात ये है कि सबको जितेंद्र नारायण यानी वसीम रिज़वी की हालत से खुशी मिल रही है। जितेंद्र नारायण ने जो कहा, आपने भी सुन लिया होगा। (Jitendra Singh viral social media)
वो खुद को डिप्रेशन में बता रहे हैं और राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की अपील की है, ऐसा भी कहा है। कई मामलों में उनके ऊपर जांच चल रही है और कोई राहत नहीं मिल रही, इस बात को लेकर वह तनाव में हैं। कुछ लोग इसे धर्म परिवर्तन का नतीजा बताकर कोस रहे हैं कि ये तो अल्लाह का अजाब है। ये अजीब बात है। इस देश में 90 प्रतिशत से ज्यादा मुसलमान वो हैं, जिनके पुरखों ने इस उम्मीद पर इस्लाम कबूला कि उनको भेदभाव से मुक्ति मिलेगी, क्योंकि जहां थे, वहां उनको इंसान जैसा भी नहीं माना जाता था।
धर्म बदलकर मुसलमान हुए, लेकिन वो आज भी भेदभाव का शिकार हैं। उन्होंने वसीम रिजवी की तरह भी कभी भी अपने पुराने मजहब को नहीं कोसा, फिर भी उनके साथ ऐसा हुआ। वो पसमांदा हो गए, पिछड़ गए सामाजिक आर्थिक तरक्की की दौड़ में, छुआछूत से भी नहीं बच सके। पसमांदा समाज पर हमारी सीरीज में आप देख ही रहे होंगे कि मुसलमानों में जातिवाद का असर कितना है। प्रोफेसर मसऊद आलम फलाही ने तो जात पात और मुसलमान किताब लिखकर पुर्जा पुर्जा खोलकर सामने रख दिया है। (Jitendra Singh viral social media)
हमारी अपील है कि डिप्रेशन से घिरे किसी भी व्यक्ति को पहले जिंदगी के संकट से बाहर निकाला जाए, उसकी मदद की जाए। मदद नहीं कर सकते तो उसको अच्छे मनोचिकित्सक से सलाह लेने को कहा जाए। न कि अपने मन की खुशी के लिए उसे कोसकर मौत के दरवाजे पर पहुंचाया जाए। ऐसा नहीं भी कर सकते तो चुप रहने में भी कोई हर्ज नहीं है।