बोधगया, 25 फरवरी 2025: बोधगया स्थित भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली महाबोधि महाविहार को ब्राह्मण महंत के कब्जे से मुक्त करने के लिए चल रहे बौद्ध भिक्षुओं के आमरण अनशन आंदोलन का 14 वां दिन था, बिहार सरकार और केंद्र सरकार आज भी मूकदर्शक बने बैठे रहे। दूसरी तरफ बौद्ध भिक्षुओं की तबीयत बुरी तरह बिगड़ती जा रही है। कई बौद्ध भिक्षु उठकर नहीं बैठ पा रहे हैं और एक बौद्ध भिक्षु को बोलने में भी परेशानी हो रही है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे डॉ विलास खरात की तबीयत भी बिगड़ रही है और उनके सहयोगी आकाश लामा की तबीयत भी बिगड़ रही है।
आमरण अनशन के आंदोलन के 14 दिन बाद आंदोलन पूरे देश में फैल चुका है, देश के बड़े नेता आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं। जिले मुख्यालयों पर आम जनमानस की तरफ से ज्ञापन दिए जा रहे हैं और बौद्ध विहार को मुक्त करने के लिए आवाज उठ रही है। इसी कड़ी में आंदोलन को झांसी में हुए राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन में बड़ा समर्थन मिला है। दिल्ली के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने ऐलान किया है कि वह अपने हजारों समर्थकों के साथ बोधगया पहुंचेंगे और यदि आंदोलन के लिए कुर्बानी की जरूरत पड़ी तो कुर्बानी भी देंगे।
दुनिया भर से बौद्ध देशों के लोग आंदोलन को समर्थन करने पहुंच रहे हैं और बौद्ध मंदिर को बौद्ध भिक्षुओं को सौंपने की मांग पूरी न होने के कारण भारत की छवि विश्व स्तर पर खराब हो रही है। आंदोलन में श्रीलंका नेपाल जैसे देशों से लोग पहुंच रहे हैं और यूरोप के देशों से भी विदेशी समर्थन करने पहुंच रहे हैं। कल आंदोलन को समर्थन करने कोलंबिया के कई रिसर्च स्कॉलर पहुंचे और उन्होंने आंदोलन का समर्थन किया उन्होंने कहा कि यह बौद्धों का पवित्र स्थल है और बौद्धों को ही सौंपा जाना चाहिए।
आंदोलन के समर्थन में देश के सैकड़ो जिलों में आम जनमानस के द्वारा ज्ञापन दिए गए। आंदोलन के समर्थन में पिछड़े वर्ग के लोग मैनपुरी एटा इटावा आदि जिलों में बड़े स्तर पर ज्ञापन दिए गए। महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन का नेतृत्व कर रहे डॉ विलास खरात ने कहा कि जब तक बौद्ध बिहार मुक्त नहीं हो जाता यह आंदोलन जारी रहेगा और उन्होंने आंदोलन के दौरान बड़ा आंदोलन करने के लिए देश की यात्रा करने की बात कही है।
महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन समिति के द्वारा जारी एक सूचना में डॉ विलास खरात ने आज कहा है कि “महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन देशव्यापी आंदोलन बन गया है। बोधगया में चल रहे आमरण अनिश्चितकालीन है। इस आंदोलन की मांग यही है कि महाबोधि महाविहार टेंपल एक्ट 1949 पूर्णतः निरस्त किया जाए। बौद्ध स्थल पर ब्राम्हणों का क्या काम है, उन्हें हटाने के लिए यह एक्ट का रद्द करना जरूरी है। आमरण अनशन लगातार जारी है और आगे भी जारी रहेगा। इस आंदोलन को लोग कैसे साथ सहयोग दे सकते है? आप अपने अपने जिले तहसीलों में एक दिवसीय धरना आंदोलन, ज्ञापन आंदोलन और एक दिवसीय रैली प्रदर्शन कर सकते है।ताकि इस आंदोलन को बहुजन समाज का समर्थन है यह सिद्ध होगा। विभिन्न संगठन को इस आंदोलन में जुड़ना है।
अपने संगठन के साथ “महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन समिति” के बैनर तले आपको इस देशव्यापी आंदोलन का हिस्सा बनना है। आंदोलन एकसाथ होगा। ताकि यह आंदोलन देशव्यापी रूप से दिखाई दे और इससे सरकार पर दबाव भी पड़ेगा।”
1) ज्ञापन आंदोलन: 28 फरवरी 2025
2) धरना आंदोलन: 6 मार्च 2025
3) रैली प्रदर्शन: 12 मार्च 2025
4) और आखिर में बोधगया में लाखों की विशाल महारैली भी होगी।
-Indus News TV Desk के लिए *संतोष शाक्य* की रिपोर्ट