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Thursday, May 1, 2025
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गोपाल दास नीरज : मुझे लोग एक कवि के रूप में ही याद करेंगे. यदि मेरे लिखे गीत गुनगुनाएँ तो वह मेरा कवि-जीवन धन्य हो जायेगा

सुनील सिंह


पलकों के झूले से सपनों की डोरी ,

प्यार ने बाँधी जो तूने वो तोड़ी,

खेल ये कैसा रे कैसा रे साथी,

दिया तो झूमे है रोये है बाक़ी,

कहीं भी जाए रे रोये या गाये रे,

चैन न पाये रे हिया, वाह रे प्यार वाह रे वाह।  (People Will Remember Me)

दरअसल फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ के ‘रंगीला रे’ की कुछ पंक्तियाँ हैं।इसी प्रकार ‘ फूलों के रंग से’,

‘शोख़ियों में घोला जाए ‘, ‘ ताक़त वतन की हमसे है ‘,’दिल आज शायर है ‘,’कैसा है मेरे दिल तू खिलाड़ी ‘,’खिलते हैं गुल यहाँ ‘,’मेघा छाये आँधी रात ‘, ‘ओ मेरी शर्मीली ‘, ‘जीवन की बगिया महकेगी ‘,’ऐ मैंने क़सम ली ‘ जैसी गोपाल दास ‘नीरज ‘ की अनेकों अनमोल गीत हैं जिसके एक-एक शब्द दिलों में उतरता जाता है, दिल ओ दिमाग़ को झकझोर कर रख देता है। (People Will Remember Me)

नीरज ने एक से एक कविताएँ और गीतों की रचना की लेकिन उन्हें ख्याति जिस गीत से मिली वह थी-‘ कारवाँ गुजर गया, ग़ुबार देखते रहे।’ पूरा बोल है-“ नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई , पाँव जब तलक उठे कि ज़िंदगी फिसल गई, पात-पात झर गए कि शाख़ – शाख जल गई, गीत अश्क़ बन गए, छंद हो दफ़्न गए, साथ के सभी दिए धुआँ-धुआँ पहन गए, और हम झुके झुके, मोड। पर रूके रूके , उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे, कारवाँ गुजर गया, ग़ुबार देखते रहे।”

गीत और काव्य दोनों के इतिहास में यह गीत मील का पत्थर साबित हुआ,यह गीत नीरज ने 1954 में लिखा था। इस गीत को नीरज पहले कवि सम्मेलन में प्रस्तुत करते थे।धर्मयुग सहित कई पत्रिकाओं में छपने के बाद इसपर व्यापक रूप से चर्चा होने लगी।इस गीत से नीरज काफ़ी लोकप्रिय हो गए।उनकी लोकप्रियता तब और बढ़ गयी जब इस गीत को सन् 1965 में संगीतकार रौशन की धुन पर मोहम्मद रफ़ी के आवाज़ में फिल्म ‘नई उम्र की नई फसल’ में फ़िल्माया गया। (People Will Remember Me)

जिस वक्त कवि प्रदीप ,पंडित भरत व्यास , मजरूह, शैलेन्द्र, हसरत जयपुर, शकील बदांयूनी , साहिल लुध्यानवी और काफ़ी आज़मी जैसे गीतकारों का सिक्का फ़िल्मी दुनिया में चल रहा था ऐसे ही वक्त नीरज फ़िल्मी दुनिया में आए। इनके इस दुनिया में आने से फ़िल्मी दुनिया की रौनक़ और बढ़ गयी।सन्1968 के बाद वह फ़िल्मी दुनिया में आकर रहने लगे।लगातार तीन वर्षों क्रमश: 1969, 1970 और 1971 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्म फ़ेयर एवार्ड दिया गया।

4 जनवरी 1925 को गोपाल दास ‘नीरज ‘ का जन्म उत्तर प्रदेश के पुरावली , इटावा में हुआ था।बचपन से ही वह कई तरह के दुख झेले।6 वर्ष में ही उनके पिताजी का निधन हो गया।इनके फूफा ने इनके परिवार की ज़िम्मेवारी सँभाली।वह इनको अपने साथ एटा ले गए।इस प्रकार इस चक्कर वह अपनी माँ और तीन भाई से दूर हो गए।अपने फूफा पर ज़्यादा बोझ न बनें इसलिए बचपन से ही वह अनेक काम किए। (People Will Remember Me)

ताँगा चलाना, बीड़ी-सिगरेट बेचना, कभी किसी दुकान पर काम करना, कभी ट्यूसन पढ़ाना आदि।इन परेशानियों के बावजूद भी नीरज एटा से हाई स्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की।इसके बाद उन्हें दिल्ली के आपूर्ति विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी मिल गयी।कुछ आर्थिक समस्याएँ धीरे धीरे कम होने लगी।

लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ा और एम॰ए॰ भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर गए।कई शहरों में नौकरी करने के बाद अलीगढ़ में धर्म समाज महाविद्यालय में प्राध्यापक की नौकरी में आ गये।यहीं से फ़िल्मी दुनिया में अस्थायी रूप से कदम रखा। (People Will Remember Me)

‘कारवाँ गुजर गया ‘,’अंतरध्वनि ‘,’विभावरी ‘,‘प्राणगीत ‘,’नीरज की पाती ‘,’बादर बरस गए ‘,‘अंसारी ‘,’गीत भी अतीत भी ‘, ’ तुम्हारे लिए ‘,’दो गीत ‘,’फिर दीप जलेगा ‘,’नीरज की गीतिकाएँ ‘,’नदी किनारे ‘,’ दर्द दिया है ‘,‘मुक्तकी ‘,कुछ दोहे नीरज

के ‘,’बादलों को सलाम लेता हूँ ‘,’लहर पुकारे ‘ सहित 30 से अधिक नीरज ने किताबें लिखीं।लगभग 100 फ़िल्मी गीतों को उन्होंने लिखा। कई सम्मान क्रमश: पद्मश्री, पद्मभूषण , यशभारती और फ़िल्मफ़ेयर से नवाज़े गए।19 जुलाई 1918 में 93 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हुई लेकिन अंतिम समय तक वह लिखते रहे।लेकिन मृत्यु के साथ ही उनकी कई इच्छाओं में से एक देह दान की इच्छा पूरी नहीं हुई। (People Will Remember Me)

असल में पहले चली आ रही बीमारियों के कारण उनके शरीर में संक्रमण हो गया था।इस परिस्थिति में उनके शारीरिक अंगों का उपयोग संभव नहीं था इसलिये वह डाक्टरों ने देह दान के स्थान पर संस्कार की सलाह दी गयी।इसलिये मुखाग्नि देकर उनका संस्कार किया गया।नीरज जी ने एक मृत्यु गीत लिखा था जिसे वह अक्सर मंच पर सुनाते थे। इसे सुन लोग भावुक हो जाते थे। उन्होंने लिखा:

जीवन कटना था, कट गया (People Will Remember Me)

अच्छा कटा, बुरा कटा

यह तुम जानो

मैं तो यह समझता हूँ

कपड़ा एक पुराना फटना था,फट गया (People Will Remember Me)

जीवन कटना था कट गया।

रीता है क्या कुछ

बीता है क्या कुछ

यह हिसाब तुम करो

मैं तो यह कहता हूँ

परदा भरम का जो हटना था,हट गया (People Will Remember Me)

जीवन कटना था कट गया।

क्या होगा चुकने के बाद

बूँद-बूँद रिसने के बाद

यह चिंता तुम करो

मैं तो कहता हूँ

क़र्ज़ा जो मिट्टी का पटना था,पट गया (People Will Remember Me)

जी कटना था कट गया

बँधा हूँ कि खुला हूँ

मैला हूँ कि धुला हूँ

यह विचार तुम करो

मैं तो यह सुनता हूँ

घट-घट का अंतर जो घटना था घट गया (People Will Remember Me)

जीवन कटना था कट गया।

(लोक माध्यम से साभार)


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