भारत के आख़िरी छाेर केरल से लगातार चार महीनों तक 3000 किलोमीटर पैदल चलकर पंजाब के बाघा बॉर्डर पहुंचे शिहाब चित्तूर को आखि़कार पाकिस्तान में दाख़िला मिल गया। ऐसा होने का मतलब है कि अब उनका पैदल हज करने का ख़्वाब भी पूरा होगा, जिसकी उम्मीद लगभग टूट गई थी। हालांकि न शिहाब ने हिम्मत छोड़ी और न फटकार खाकर उनकी मदद में लगे पाकिस्तान के सरवर ताज ने। महीनों इंतज़ार के बाद शिहाब बाघा बॉर्डर के नजदीक पाकिस्तान के कस्बे में डेरा गुजरां पहुंच गए। सरवर ताज और उनके साथ भगत सिंह मैमोरियल फाउंडेशन के चेयरमैन व लाहौर कोर्ट के अधिवक्ता इम्तियाज़ रशीद कुरैशी ने शिहाब से मुलाकात भी की, जो लगातार उनके एंट्री वीजा की सिफारिश को सुप्रीम कोर्ट तक दरवाज़ा खटखटा रहे थे। (Shihab Chittur Live Update)
ताज़ा अपडेट ये है कि शिहाब चित्तूर जिस तरह भारत में हजारों किलोमीटर पैदल चलकर पाकिस्तान बॉर्डर पहुंच गए, उस तरह वह पाकिस्तान में नहीं चल सकेंगे। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार ने सुरक्षा के लिहाज से उनको लाहौर से क्वेटा तक हवाईजहाज से ले जाने और वहां से ताफान बॉर्डर से ईरान में दाखिल कराने का फैसला लिया है।
पाकिस्तान के तमाम नागरिक इस बात से मायूस हैं कि वे शिहाब का स्वागत नहीं कर पाए, जैसा भारत में हुआ। ऐसा भी कहा जा रहा है कि शिहाब के रूट और उनके ठहरने आदि को भी काफी गोपनीय रखा जा रहा है। इस तरह शिहाब चित्तूर का जो समय बाघा बॉर्डर पर इंतजार में ज़ाया हुआ, वह मैनेज हो गया और कोई नया रोड़ा नहीं लगा तो तय समय पर मक्का पहुंच जाएंगे।
इंडस न्यूज को भेजे वीडियो में एडवाेकेट इम्तियाज़ रशीद कुरैशी ने इस सिलसिले में पूरी बात बताई। उन्होंने बताया कि हमने शिहाब चित्तूर को लाहौर हाईकोर्ट आने की पेशकश की, जिससे उनका स्वागत किया जा सके, लेकिन उन्होंने सरकारी दिशानिर्देशों के हवाले से इनकार कर दिया। एडवोकेट कुरैशी ने बताया कि शिहाब चित्तूर की सिक्योरिटी को बहुत सख्त रखा गया है, मीडियाकमियों से भी फिलहाल उन्होंने दूरी बना रखी है।
लंबे समय तक पैदल हज यात्रा को रवाना होने की वजह से शिहाब चित्तूर चर्चा में रहे। वह पिछले साल 2 जून को केरल के मल्लापुरम से पैदल हज के लिए निकले थे। सऊदी अरब की उनकी यात्रा का रूट बाघा बॉर्डर होकर वाया पाकिस्तान, इराक, ईरान, कुवैत- सऊदी अरब तक करीब 8640 किलाेमीटर की है।
इस यात्रा के बीच उनका सफर बाघा बॉर्डर आकर ठहर गया, क्योंकि पाकिस्तान का वीजा ही क्लियर नहीं था। जबकि उस वक्त तक ये दावा था कि सभी पांचों देशों का वीज़ा मिल चुका है। लेकिन अक्टूबर की शुरूआत में जब वह बाघा बॉर्डर पहुंचे, तो वीजा न होने से पाकिस्तान में दाख़िल नहीं हो पाए। (Shihab Chittur Live Update)
भारत में चार महीनों में शिहाब की पैदल हज यात्रा देश-दुनिया की मुस्लिम बिरादरी के बीच चर्चित हो चुकी थी, काफिला रुक गया तो मुस्लिम बिरादरी में मायूसी और नाराजगी का माहौल देखने को मिला। वीजा के लिए कोशिशें होने लगीं। एंट्री के लिए पाकिस्तान के सरवर ताज लाहौर हाईकोर्ट पहुंचे, लेकिन लाहौर हाईकोर्ट ने उनको डपट दिया।
लाहौर हाईकोर्ट के जस्टिस शाहिद वहीद ने याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सरवर ताज से शिहाब के पिता का नाम पूछा। सरवर ने कहा, उन्होंने एक मुस्लिम की हैसियत से याचिका लगाई है. इस पर जस्टिस वहीद ने कहा, ऐसा लगता है कि आप भारत के जासूस हैं। इतना कहकर हाईकोर्ट ने याचिका ख़ारिज कर दी।
इसके बावजूद सरवर ताज ने भारतीय हज यात्री शिहाब चित्तूर के लिए पाकिस्तान का बॉर्डर खोले जाने की मांग बुलंद रखने का इरादा ज़ाहिर किया है और हाईकोर्ट की अपर बेंच और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील को गए।
शिहाब चित्तूर पेशे से डॉक्टर हैं। लगभग तीस साल के शिहाब की बचपन की एक ख़्वाहिश थी कि वह पैदल हज करेंगे। शिहाब के पैदल हज पर जाने को लेकर शुरुआत में भारत में ही उनकी आलोचना भी हुई कि ये सब शोहरत पाने के लिए कर रहे हैं। लेकिन बाद में उनकी लोकप्रियता बढ़ती चली गई। (Shihab Chittur Live Update)
भारत में केरल से होकर कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा होकर शिहाब पंजाब के बाघा बॉर्डर पहुंचे और अब पाकिस्तान में पहुंच गए हैं। कहा जा रहा है कि एशिया में 21वीं सदी में शिहाब ऐसे इकलौते शख़्स हैं, जिन्होंने पैदल हज का इरादा किया है।
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