1861 में बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में इस्ट इंडिया कंपनी के रेल निर्माण कार्य के ट्रैक बिछाने का काम चल रहा था। तब ब्रिटिश रेलवे इंजीनियर हैरिस ने धातु की मूर्ति के पैरों को जमीन में देखा। उस मूर्ति को ध्यांन से खोदा गया और वह हैरान रह गया। अब यह शानदार तांबे की मूर्ति बर्मिंघम, इंग्लैंड के संग्रहालय में दिखाई देती है। (The ancient statue Buddha)
पता नहीं ऐसी कितनी बुद्ध मूर्ति जहाज से विदेश गई हैं। सुल्तानगंज में प्राप्त बुद्ध की मूर्ति – गुप्त काल की है, जो तांबे की बनी है। प्रतिमा 500 और 700 ईस्वी के बीच की है यह 2.3 मीटर ऊंचा और 1 मीटर चौड़ा है और इसका वजन 500 किलोग्राम से अधिक है। यह ईस्ट इंडियन रेलवे के निर्माण के दौरान बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में पाई गई थी। (The ancient statue Buddha)
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