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Thursday, May 1, 2025
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दलित युवक द्वारा मजदूरी मांगने पर दबंगों ने पीट-पीट कर मार डाला

यूपी के सुल्तानपुर के अखंडनगर थाना क्षेत्र में दलित मजदूर द्वारा मात्र चार दिन की दिहाड़ी मांगने पर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। दलित युवक विनय कुमार बकाया दिहाड़ी लेने गया था। मुख्य आरोपी दिग्विजय यादव व उसके साथियों द्वारा गांव के बाहर ट्यूवेल पर बर्बरता से पिटाई की गयी। पिटाई से बेहोश हो जाने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में विनय को भर्ती करा दिया। थोड़ी देर में ही उसकी मौत हो गयी। (Dalit youth beaten to death)

घटना 25 अगस्त 2023 की है। पिता का कहना है कि मेरा छोटा बेटा विनय मात्र 18 साल का था। उसने अभी जल्दी ही काम करना शुरू किया था। वह पिछले कुछ दिनों से दिग्विजय यादव के लिए काम कर रहा था। दलित समुदाय के लोग थाने गये और एफआईआर लिखने के लिए दबाव बनाया तब जाकर एफआईआर लिखी गई। दलित समुदाय न्याय की मांग के लिए संघर्षरत है। मुख्य आरोपी पकड़ा गया है और उसके बाकी साथी फरार हैं।

जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है तब से दलितों पर अत्याचार की घटनाओं में बाढ़ सी आ गयी है। हिन्दू फासीवादियों द्वारा आये दिन दलित समुदाय के लोगों के साथ अपमान करना, मार पिटाई करना व जान से मार देना इनके लिए आम बात हो चुकी है। राज्य में जहां-जहां भाजपा की सरकार है वहां तो पूछो मत। अभी कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश में एक युवक को दर्जनों लोगों ने घेर कर मार डाला। (Dalit youth beaten to death)

यूपी को अपराध मुक्त करने वाली योगी सरकार व केंद्र में बैठी मोदी सरकार के दावे कितने खोखले हैं। भाजपा राज में दलितों की दशा को बयां कर देती है।
इस रिपोर्ट से इसे समझ सकते हैं :

मार्च 2023 में भारत सरकार ने संसद को सूचित किया है कि 2018 से लेकर अगले 4 सालों के बीच दलितों के ख़िलाफ़ अपराध के क़रीब 1.9 लाख मामले दर्ज किए गए हैं। नेशनल क्राईम रिकार्ड्स ब्यूरो के अनुसार, उत्तर प्रदेश में दलितों पर हमले के क़रीब 49,613 मामले दर्ज किए गए हैं। 2018 में 11,924, 2019 में 11,829, 2020 में 12,714 और 2021 में 13,146 मामले दर्ज किये गये।

भारत में सिर्फ़ 4 सालों में दलित समुदाय के ख़िलाफ़ अपराध के क़रीब 1,89,945 मामले दर्ज हुए हैं। (2018 में 42,793, 2019 में 45,961, 2020 में 50,291 और 2021 में 50,900)। इन सब मामलों को मिलाकर क़रीब 1,50,454 मामलों में चार्जशीट दायर की गई जिसके बाद सिर्फ़ 27,754 मुक़दमे दर्ज किए गए। बहुत सारे मामले तो पुलिस द्वारा लिखे ही नहीं जाते हैं या डर के मारे गरीब आदमी न्याय की उम्मीद छोड़ देता है।

साभार : ‘नागरिक अधिकारों को समर्पित’ पाक्षिक समाचार पत्र

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