कम्यूटर और उसके बाद सूचना और संचार तकनीक ने बीसवीं शताब्दी की इंसानी जिंदगी को बदलकर रख दिया. मानव समाज विकास के मामले में यह अनोखी छलांग थी, जिससे कोई भी इंसान अछूता न रह सका. कम्प्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन और इंटरनेट के बगैर आज मानव के किसी भी कार्य-व्यवहार की कल्पना तक नहीं की जा सकती. एक दूसरे को सामान्य संदेश भेजना हो या फिर बड़ा व्यापारिक प्रतिष्ठान संचालित करना हो साइबर दुनिया के बगैर संभव नहीं है. (What is Cyber Crime)
साइबर दुनिया में ही जन्म लिया नए तरह के अपराधों ने जिन्हें साइबर क्राइम कहा जाता है. यानि ऐसा अपराध जिसमें कम्प्यूटर, स्मार्टफोन और इंटरनेट शामिल हो. साइबर अपराधों ने जुर्म की दुनिया को भी बदल दिया और कानूनों को भी. इन अपराधों से निपटने के लिए सभी देशों को संविधानों में नए प्रावधान जोड़ने पड़े. पहले से मौजूद कानून और धाराएँ इनसे निपटने के लिए पर्याप्त नहीं थे.
साइबर अपराधों की जटिलता की वजह से इसे परिभाषित करना आसान नहीं है. फिर भी इन्हें 2 श्रेणियों में बांटा जा सकता है.
पहला है कम्प्यूटर अपराध, यानि ऐसा अपराध जिसमें कम्प्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन आदि शामिल हो लेकिन नेटवर्क का इस्तेमाल न किया गया हो. जैसे किसी के कम्प्यूटर, फोन आदि से जानकारी चुराना, जानकारी मिटाना, जानकारी में फेरबदल कर देना या जानकारी डाल देना आदि.
दूसरा है नेटवर्क अपराध, जिसमें उपरोक्त डिवाइस के साथ इंटरनेट का इस्तेमाल भी किया गया हो. जैसे—
हैकिंग : इंटरनेट के इस्तेमाल से किसी की डिवाइस कब्ज़ा लेना और फिर उसकी निजी जानकारी हासिल कर लेना, उनमें फेरबदल कर देना या फिर उससे कुछ हासिल कर लेना.
वायरस का प्रसारण : साइबर अपराधी विभिन्न माध्यमों से आपकी डिवाइस तक ऐसी जानकारियाँ भेजते हैं जिन तक पहुँचने की कोशिश आपको कई तरह से नुकसान पहुंचाती है इनमें बहुत आम है वायरस का शिकार हो जाना.
सॉफ्टवेयर चोरी : डिकोड का चोरी किये गए सॉफ्टवेयर कंपनी और डिवाइस दोनों को नुक्सान पहुंचाते हैं. ये भी एक साइबर अपराध है जो धड़ल्ले से किया जाता है.
साइबर बुलिंग : सोशल मीडिया पर भद्दे कमेन्ट और मजाक करना, दूसरों को शर्मिंदा करना, धमकाना जैसी चीजें साइबर बुलिंग कहलाती हैं.
अफवाह फैलाना : कई लोगों का काम सिर्फ इंटरनेट के जरिये सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, लैंगिक, जातीय मसलों पर झूठ और धारणाएं फैलाना होता है. ये झूठ यूजर्स के अज्ञान की वजह से विभिन्न मंचों पर शेयर होते रहते हैं और व्यापक स्तर पर समस्याएं खड़ी करते हैं.
धोखाधड़ी और फर्जीबाड़ा : ठगी, लूट, चोरी जैसी वारदातें अब इंटरनेट के इस्तेमाल से होना आम है. किसी के अकाउंट से पैसा निकाल लेना, गलत सामान या सेवा बेच देना आदि कई तरह के साइबर अपराध आज के दौर की सच्चाई हैं.
साइबर अपराधों के बढ़ते जाने पर कानून इससे निपटने में अक्षम पाए गए. क्योंकि ये नयी प्रकृति के अपराध थे. सो सूचना तकनीक कानून-2000 तथा अन्य कानून बनाकर इनसे निपटने की कोशिश की जा रही है.
भारत सरकार ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए सूचना प्रौद्यौगिकी अधिनियम 2000 पारित किया. साथ ही IPC की धाराओं में भी कुछ प्रावधान किए गए भारत सरकार ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए सूचना प्रौद्यौगिकी अधिनियम 2000 पारित किया था, साथ ही IPC की धाराओं में भी कुछ प्रावधान किए गए. सूचना प्रौद्यौगिकी अधिनियम 2000 की धाराऐं 43 43ए, 66 66बी, 66सी, 66डी, 66ई, 66 एफ, 67, 67ए, 67बी, 70, 72, 72ए और अलावा 2013 में सरकार ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति जारी की, जिसमें अतिसंवेदनशील मुद्दों के संरक्षण को लेकर मसौदा तैयार किया गया. इसके तहत 2 वर्ष की सजा से लेकर उम्रकैद, दंड और जुर्माने का प्राविधान है. हैकिंग व साइबर क्राइम से संबंधित है. इसके अलावा 2013 में सरकार ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति जारी की, जिसमें अतिसंवेदनशील मुद्दों के संरक्षण को लेकर मसौदा तैयार किया गया. इसके तहत 2 वर्ष की सजा से लेकर उम्रकैद, दंड और जुर्माने का भी प्राविधान है.
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