बरेली, 10 मार्च। जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार के मुख्य आतिथ्य व प्रभागीय वनाधिकारी दीक्षा भण्डारी कि उपस्थिति में आज राष्ट्रीय बॉंस मिशन योजना के अंतर्गत जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन विकास भवन स्थित सभागार में किया गया ।
कार्यक्रम में बांस को अधिक से अधिक प्रमोट करने पर जोर दिया गया व जनपद में संचालित विभिन्न योजनाओं जैसे ओ.डी.ओ.पी., मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, पी.एम. विश्वकर्मा योजना तथा नेशनल बैम्बू मिशन आदि योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया गया कि उक्त योजनाओं का लाभ लेते हुये स्वयं सहायता समूहों एवं एफ0पी0ओ0 के माध्यम से कृषक अपनी अजीविका उपार्जन में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं।
जिला उद्यान अधिकारी बरेली को बांस की पौध की उपलब्ध की जानकारी उपायुक्त एन0आर0एल0एम0 एवं उप कृषि निदेशक बरेली को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये।
प्रभागीय वनाधिकारी पीलीभीत सामाजिक वानिकी भारत कुमार डी.के. द्वारा बताया कि भारत बांस का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। किन्तु यह अपना ज्यादातर बांस दूसरे देशों को निर्यात कर देता है। देश के अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में बांस का रकबा काफी कम है जो कि लगभग 1832 वर्ग किमी0 है। यह एक पर्यावरणीय पौधा है और इसमें गर्मी को अधिक अवशोषण की क्षमता होती है। बांस से कई प्रकार की उत्पाद और दवाईयां भी बनती है। यदि भारत में टैक्टाइल, फर्नीचर, मेडिनिस आदि उद्योगों में बांस को बढ़ावा दिया जाये तो इससे बहुत अधिक संख्या में रोजगार लोगों को दिया सकता है। उद्बोधन के अंत में बांस से बनी हुयी साड़ी, तौलिया, नेपकिन आदि को भी दिखाया गया।
फॉरेस्ट रिसर्च सेंटर फॉर रिहैबिलिटेशन प्रयागराज दर्षिता रावत द्वारा बांस को एक ‘‘हरा सोना‘‘ बताया गया। उन्होंने बताया कि बांस की लगभग 136 प्रजातियां है। भारत में पायी जाने वाली विभिन्न प्रजातियों के बांस को दूसरे देशों को निर्यात कर दिया जाता है। यह अन्य वृक्षों की तुलना में 35 प्रतिशत ऑक्सीजन पर्यावरण में देता है तथा बांस के उत्पादक देशों के बारे में बताया गया। 18 सितम्बर को विश्व बैम्बू दिवस मनाया जाता है। रावत द्वारा बांस की विभिन्न प्रजातियों को तैयार करने एवं उनके उत्पादन के विषय में तकनीकी जानकारी उपलब्ध करायी ।