एकाधिकार देश के लिए कैसे घातक सिद्ध होता है क्या आप जानना चाहते हैं?
गिरीश मालवीय
आज देश का सीमेंट कारोबार अडानी के कब्जे में जा चुका है देश की दो जानीमानी सीमेंट कारोबारी कंपनियों को इस साल के मध्य में अडानी ग्रुप ने एक साथ खरीद लिया हम बात कर रहे हैं एसीसी और अंबुजा सीमेंट की इन दोनो कंपनियों के हिमाचल प्रदेश में बड़े प्लांट है जो पूरे उत्तर भारत में सीमेंट आपूर्ति में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाते हैं. (Monopoly Proves Fatal Country)
पिछले हफ्ते अचानक अडानी ग्रुप ने हिमाचल प्रदेश में जिला बिलासपुर के एसीसी और सोलन के दाड़लाघाट स्थित अंबुजा सीमेंट प्लांट को बंद कर दिया.
आखिर ये निर्णय क्यों लिया गया ये जानना दिलचस्प है
मामला अंबुजा सीमेंट् प्लांट से जुड़ा हुआ है जब इस प्लांट की स्थापना की गई थी तो इसके मालिक न्योतिया जी थे सन् 1995 में अंबुजा सीमेंट कंपनी के मालिक व सीमेट फेक्ट्री की जमीन के लिए गए लैंड भू.विस्थापितों में समझौता हुआ था कि परिवार के एक सदस्य को कंपनी में शैक्षणिक योग्यतानुसार नौकरी दी जाएगी तथा वह परिवार क्लींकर व सीमेंट ढुलाई के लिए ट्रक भी खरीद सकता है। (Monopoly Proves Fatal Country)
जिनकी जमीनें ली गई उन अधिकांश परिवारों ने टोकन लेकर अपने ट्रक भी संचालित किए तथा परिवार के एक सदस्य को कंपनी में नौकरी भी प्राप्त हो गई जिन लोगो ने ट्रक ले लिए उन्होने एक यूनियन बनाई बाद में ये देश की सबसे बड़ी ट्रक यूनियन बन गईं और मजबूत होती चली गई इस वक्त ट्रक ऑपरेटर सोसायटियों से जुड़ी यूनियन के करीब पांच हजार ट्रक संचालित होते है
लेकिन जब कुछ महीने पहले अदानी समूह के इस कंपनी को टेक ओवर किया तो उन्होने कॉस्ट कटिंग पर काम करना शुरू कर दिया प्रबंधक वर्ग ने कहा है कि नौकरी व व्यापार इकट्ठा नहीं चलेगा। या तो नौकरी कर लो या ट्रक चला लो (Monopoly Proves Fatal Country)
दूसरी तरफ अडानी प्रबंधन ने ट्रक यूनियन से ट्रक द्वारा सीमेन्ट ढुलाई की दर को कम करने को कहा अभी तक ट्रक यूनियन प्रति टन 10 रुपये ढुलाई ले रही थी उसे अडानी प्रबंधन कंपनी इसे 6 रुपये तक करने को कहा अडानी ग्रुप चाहता है कि ट्रक ऑपरेटर 2005 में किए गए समझौते के हिसाब से 6 रुपए प्रति टन ले जबकि ट्रक ऑपरेटर 2019 वाला रेट मांग रहे हैं जो कि सही भी है
यहा दिक्कत यह भी है कि पहाड़ी राज्य होने के कारण हिमाचल में सीमेंट और अन्य माल ढुलाई का ट्रक भाड़ा ज्यादा रहता है। अन्य पहाड़ी राज्यों में भी माल ढुलाई का भाड़ा ज्यादा रहता है। जबकि मैदानी इलाकों में माल ढुलाई भाड़ा पहाड़ों से आधा रहता है। अडानी प्रबंधन चाहता है कि मैदानी क्षेत्रों वाला ही 6 रुपये प्रति टन ढुलाई दी जाए (Monopoly Proves Fatal Country)
ट्रक यूनियन वालो का कहना है कि वे साल 2019 के रेट पर ही काम कर रहे हैं, लेकिन कंपनी उन पर रेट कम करने का दबाव बना रही है. ऐसे में जब ट्रक यूनियन ने कंपनी की बात नहीं मानी, तो कंपनी ने नुकसान का हवाला देते हुए दोनों प्लांट को बंद करने का फैसला लिया है।
इसके साथ ही कुछ महीने पहले अंबुजा और एसीसी ने अपनी सीमैंट महंगी की है जिसे हिमाचल की नव निर्मित कांग्रेस सरकार द्वारा कम करने को कहा जा रहा था , अडानी को हिमाचल प्रदेश में बनी कांग्रेस की सरकार फूटी आंख भी नही सुहा रही है (Monopoly Proves Fatal Country)
चूंकि अब तक दोनो कंपनियों के मालिक अलग अलग थे इसलिए आपस में कॉम्पिटिशन के कारण सरकार और जनता को प्रतिस्पर्धी रेट मिल जाता था लेकिन जेसे ही दोनो प्लांट एक ही आदमी यानि अडानी ने खरीद लिए तो उसने अपनी मनमानी शुरू कर दी इन दोनों सीमेंट प्लांट से हिमाचल प्रदेश के हजारों लोगों का रोजगार जुड़ा है. ऐसे में प्लांट बंद होने की वजह से इन लोगों के रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है.
साथ ही आम आदमी को भी सीमेंट महंगा मिल रहा है अगर किसी भी सेक्टर में एक ही कम्पनी रह जाती है और कॉम्पिटिशन समाप्त हो जाता है तो वहा एकाधिकार यानि मोनो पॉली बन जाती हैं सीमेंट निर्माण के क्षेत्र में अब अडानी की मोनीपॉली हो गई है।(Monopoly Proves Fatal Country)
(ये लेखक के निजी विचार हैं।)