इतिहास में बौद्ध विरासत नष्ट करने को घनघोर आपराधिक जतन हुए हैं, ये बार बार तथ्यों से साबित हो रहा है। अपराध की पराकाष्ठा दिखाई देती है बिहार के मुंगेर जिले में मौजूद लगमा गांव में, जहां बुद्ध की मूर्ति को तोड़कर लतखोरबा गोसाईं नाम देकर अंधविश्वासी परंपरा शुरू कर दी गई। (Idols of Buddhist Deities)
वंचित जातियों के दिमागों में गुलामी ठूंसकर इस कदर भर दी गई कि वो खुद ही उस मूर्ति को लात, जूते, चप्पल से पीटने की परंपरा के वाहक बन गए। इसकी कल्पना कीजिए कि बुद्ध को मानने वालों को ये सब करने के लिए शुरू में कैसे मजबूर किया गया होगा।
मुंगेर जिले में एक ऐसा गांव है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां की जड़ें छठी शताब्दी से जुड़ी हैं. इस गांव में भगवान गौतम बुद्ध से जुड़ी कई प्राचीन अवशेष भी मिले हैं. गांव के बुजुर्गों का मानना है कि पूर्व में यह भगवान बुद्ध की स्थली रह चुकी है. यहां मिलने वाले अवशेष प्रमाण को पुख्ता करता है कि भगवान बुद्ध यहां रह चुके हैं. इस गांव का नाम लगमा है और ये असरगंज प्रखंड में है. इस गांव को भगवान बुद्ध की उपासना स्थल माना जाता है. (Idols of Buddhist Deities)
गांव में रहने वाले दलित समाज के लोगों के पूर्वज से लेकर वर्तमान पीढ़ी भगवान बुद्ध के उपासक रह चुके हैं. लगमा गांव के बीचों-बीच एक पुराना काले ग्रेनाइट की प्रतिमा सुरक्षित जमीन पर स्थापित है, जिसके सर कटे हुए हैं. लोग इस प्रतिमा को मुड़ कटवा बाबा के नाम से संबोधित करते हैं. लेकिन इस प्रतिमा की बैठने का आसान जिस प्रकार है वह बिल्कुल भगवान बुद्ध की तरह ही है.
इसलिए लोग इसे भगवान बुद्ध की प्रतिमा बता रहे हैं. साथ ही इस गांव में तीन बड़े पत्थर हैं. जिस पर अलग-अलग चित्र उकेरा हुआ है, जो किसी भगवान या महापुरुष का चित्र प्रतीत होता है. इसी गांव के लोगों ने खेत में एक चट्टान के नीचे खजाना रहने का भी अनुमान लगाया है. (Idols of Buddhist Deities)