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Thursday, May 1, 2025
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भारत के टाईगरमैन पदमश्री कैलाश सांखला जिन्होंने किया था टाइगर का शिकार, बाद में बने टाइगर संरक्षण की प्रमुख आवाज़

लेखक- मुकेश सैनी, शिक्षक, घुमक्कड़ एवं अध्यात्म खोजी, अलवर, राजस्थान


सरिस्का कल से फिर चर्चा में है क्योंकि देश की सबसे उम्रदराज बाघिन ST-2 राजमाता की कल 19 वर्ष 7 माह की उम्र में मृत्यु हो गई है। इससे पहले ये रिकार्ड भी इसकी माँ मछली के नाम था जो रणथम्भोर में थी। एक समय था जब टाईगर का शिकार बहुत बहादुरी की बात थी। भारत के टाईगरमैन पदम श्री कैलाश सांखला जोकि जोधपुर के रहने वाले थे और एक आई एफ एस अधिकारी थे। उन्होंने 1950 में पहली बार टाईगर का शिकार किया था। (India’s Tigerman Padmashree Kailash Sankhla)
उस समय टाईगर के शिकार पर कोई पाबन्दी नहीं थी लेकिन टाईगर का शिकार करने के बाद वो अपराधबोध से ग्रसित हो गये। उसके बाद उन्होंने टाईगर के संरक्षण के लिये पहली बार आवाज़ उठाई। उन्होंने लगभग 15 साल का समय सरिस्का, रणथम्भोर और भरतपुर के वन अधिकारी के रूप में गुजारा और टाईगर के बारे में गहन अध्ययन किया।

हमारे सरिस्का में काली घाटी चैक पोस्ट से एक रास्ता प्रसिद्ध हनुमान मंदिर पांडुपोल जाता है और दूसरा रास्ता काली घाटी से टहला जाता है। इसी काली घाटी चैक पोस्ट से लगभग 100-50 मीटर आगे जाने पर दायीं तरफ एक झोपडीनुमा कमरा दिखाई देगा। उस कमरे में कैलाश सांखला जी ने अपना अधिकांश समय गुजारा है। यहीं रहकर उन्होंने टाईगर की गतिविधियों पे गहन अध्ययन किया है। 1973 में भारत के पहले टाईगर प्रोजेक्ट का उन्हें डायरेक्टर बनाया गया। (India’s Tigerman Padmashree Kailash Sankhla)
इस दौरान वो राजस्थान के मुख्य वन्य जीव अधिकारी और उसके बाद दिल्ली जूलॉजिकल पार्क के डायरेक्टर रहे। टाईगर के संरक्षण की आवाज़ उठाने वाले वो भारत के पहले आई एफ एस अधिकारी थे और पहले विशेषज्ञ भी। उनके इस विशेष योगदान को देखते हुये, उन्हें पदम श्री से नवाज़ा गया और टाईगर मैन ऑफ़ इंडिया कहा गया।
थैंक्यू बोर्ड से कुशालगढ़ तक गुजरने वाले वन मार्ग का नाम कैलाश सांखला वन मार्ग उन्हें सम्मान देने के लिए रखा गया। सांखला जी का टाईगर से कितना प्रेम था वो आप इस फ़ोटो में देख सकते हैं। ये ओरिजनल फ़ोटो है कोई एडिटिंग की हुई नहीं है। सांखला जी ने हमारे सरिस्का के घने जंगल में एक संत की तरह रहकर झोपड़ी में इतने साल गुजारे हैं। ये बात ही उनके प्रति हमें सम्मान से भर देती है। टाईगर का पहाड़ों व अरावली के हरा-भरा रहने में सबसे अहम् योगदान है। इस विषय पर आगे भी लिखूँगा। (India’s Tigerman Padmashree Kailash Sankhla)


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