भगवान बुद्ध की रिद्धि सिद्धि भिक्खुनी शाक्य धम्मदिन्ना
चार इद्धिपाद को प्राप्त कर लेने वाले को बहुत सी लौकिक अलौकिक शक्तियां प्राप्त होती हैं जिसका वर्णन भगवान के द्वारा कई सुत्तों मे किया गया है!
*संयुक्त निकाय के इद्धिपाद विभंग सुत्त में*, भगवान बताते हैं कि जिसने चारों इद्धिपाद को प्राप्त कर लिया है वह इन छह प्रकार की लौकिक और पारलौकिक मानसिक शक्तियों को प्राप्त कर लेते हैं:
इद्धि विध: अद्भुत एवं अचंभित शक्तियों की क्षमता!
दिब्ब सोत : दिव्य श्रोत! सामान्य भौतिक कान द्वारा न सुनी जाने वाली सूक्ष्म या स्थूल ध्वनियों को सुनने की क्षमता!
चेतो परियाय ञाण : दूसरों के मन को पढ़ने की क्षमता!
पुब्बे-निवासानुस्सति ञाण : पूर्व के भवों में जहां जहां निवास किया वो स्मरण करने की क्षमता!
दिब्ब-चक्खु : दूसरों के कर्मों के अनुसार उनके जन्म और मृत्यु को देखने की क्षमता!
आसवक्खय ञाण : अपने मानसिक उपद्रवों के विलुप्त होने को जानने की क्षमता! यह क्षमता केवल उसी में होती है जिसने अरहंत पद प्राप्त कर लिया हो!
इन छह प्रकार की मानसिक शक्तियों में से, पहले पाँच सांसारिक मानसिक शक्तियाँ हैं! जरूरी नहीं कि इन शक्तियों को प्राप्त व्यक्ति अरहंत हों! लेकिन *छठवीं शक्ति ही एकमात्र ऐसी अलौकिक मानसिक शक्ति है जो अरहंत अवस्था का संकेत है!*
बोधि ज्ञान प्राप्त करने वाली रात्रि में पवित्र बोधि वृक्ष के तले भगवान ने इन छह शक्तियों में से अंतिम की तीन शक्तियां विकसित की थीं! बोधि ज्ञान प्राप्ति की रात्रि के पहले प्रहर में पुब्बे-निवासानुस्सति ञाण, रात्रि के दूसरे प्रहर में दिब्ब-चक्खु और रात्रि के तीसरे प्रहर में आसवक्खय ञाण को प्राप्त किया!
बोधिपक्खिय : बोधि के पंख…….