मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है. इसके अलावा मुम्बई की एक पहचान इसलिए भी है कि यह हिंदी सिनेमा का गढ़ है. समूचे उत्तर भारत के लोकप्रिय फ़िल्मी सितारे और सिनेमा के हर पहलू से जुड़े कलाकारों का आशियाना मुम्बई ही है. अब जितने लोकप्रिय मुम्बई के फ़िल्मी सितारे हैं उससे कम नहीं हैं मुम्बई के अंडरवर्ल्ड डॉन. जैसा कि अंडरवर्ल्ड नाम से जाहिर है. मुम्बई में एक छिपी हुई दुनिया है, अपराध की दुनिया. मुम्बई के कई डॉन देश ही नहीं पूरी दुनिया में कुख्यात रहे हैं. आम लोगों के बीच इनके बारे में कई सच्चे-झूठे किस्से कहे सुने जाते हैं तो फ़िल्मी दुनिया भी इनकी कहानियों के इर्द-गिर्द कई जादुई फ़िल्में बना चुकी है. मुम्बई की इस अपराधिक दुनिया और इसके किरदारों के बारे में जानने के लिए लोग इस कदर बेताब रहते हैं कि करोड़ों का कारोबार करने वाली कई हिट फ़िल्में अंडरवर्ल्ड की कहानी कहती हैं. (Notorious Don of Mumbai Underworld)
अपराध के इन सरगनाओं में से कुछ हैं—
हाजी मस्तान
तस्कर हाजी मस्तान को मुंबई का पहला अंडरवर्ल्ड डॉन माना जाता है. तमिलनाडु के कुड्डलोर में 1 मार्च 1926 को पैदा हुए हाजी मस्तान ने मुम्बई पहुंचकर कैसे अपराध की दुनिया में अपना दखल बनाया इसकी कहानी काफी दिलचस्प है. सत्तर के दशक तक हाजी मस्तान मुंबई अंडरवर्ल्ड का बेताज बादशाह था. हाजी मस्तान का कद इतना बड़ा था कि वरदराजन मुदलियार उर्फ़ वर्धा और माफिया डॉन करीम लाला जैसे कुख्यात सरगना उसके मातहत काम किया करते थे. वर्धा और हाजी मस्तान तमिल थे और धंधे से ज्यादा भी उनके रिश्ते थे.
मस्तान अपने दौर में सबसे अमीर और ताकतवर गैंगस्टर था. झक्क सफेद सूट पहनकर मर्सिडीज की सवारी करने के शौक़ीन हाजी के हाथ में हमेशा विदेशी सिगरेट और सिगार दिखाई देते थे. (Notorious Don of Mumbai Underworld)
करीम लाला
अफगानिस्तान के कुनार प्रान्त में 1911 में पैदा हुआ करीम लाला पठान था और मुंबई पहुंचकर गैर-कानूनी धंधों में पैर जमाये हुए था. 21 वर्ष उम्र में करीम पेशावर के रास्ते मुंबई पहुंचा और यहां तस्करी के अवैध कारोबार में अपनी जड़ें जमायीं. खुद हाजी मस्तान कहा करता था कि मुम्बई का असली डॉन करीम लाला है.
करीम लाला, वरदराजन मुदलियार और हाजी मस्तान एक ही वक़्त में मुम्बई के अंडरवर्ल्ड में सक्रिय थे और आपसी तालमेल बनाकर काम करने की वजह से गैंगवार से बचे रहे. तीनों ने आपसी सहमति से काम धंधे भी बांटे हुए थे और इलाके भी. (Notorious Don of Mumbai Underworld)
वरदराजन मुदलियार
1926 में मद्रास प्रेसीडेन्सी के थूटुकुडी में पैदा हुआ वरदराजन मुदालियर रातों-रात अमीर बनने की ख्वाहिश लिए 34 साल की उम्र में मुंबई पहुंचा. उसने वीटी स्टेशन पर कुली का काम करना शुरू किया और जल्द ही अवैध शराब के कारोबार में अपने पाँव जमा लिए. हाजी मस्तान और करीम लाला के चेले के रूप में अपने अपराधिक सफ़र की शुरुआत करने वाला वरदराजन ने हाजी मस्तान को बहुत ज्यादा प्रभावित किया और जल्दी ही वे आपसी तालमेल बनाकर काम करने लगे. देखते ही देखते वरदराजन मुंबई का डॉन बन गया. वह सुपारी लेकर हत्या करने, जमीन का कब्ज़ा चुदवाने और ड्रग्स की तस्करी जैसे कारोबार से अच्छा पैसा बनाने में कामयाब रहा.
वरदराजन गरीबों, ख़ास तौर पर तमिलों की काफी मदद किया करता था. इसी वजह से मुंबई में रहने वाले तमिल उसे मसीहा मानते थे. बाद में पुलिस का दबाव पड़ने पर मुदलियार वापस चेन्नई आ गया. जहां 2 जनवरी 1988 को दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई. (Notorious Don of Mumbai Underworld)
दाऊद इब्राहीम
दाऊद इब्राहीम के पिता मुंबई पुलिस में कांस्टेबल थे. लेकिन उसे अपराध की दुनिया आकर्षित करती थी बहुत कम उम्र में ही उसने अपने भाई शब्बीर के साथ मिलकर तस्करी का धंधा शुरू किया. दाऊद करीम लाला के साम्राज्य को चुनौती देने वाला पहला शख्स था. दोनों का टकराव इतना ज्यादा बढ़ा कि करीम लाला ने दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या करवा दी. जिसका बदला दाऊद ने करीम लाला के भाई रहीम खान का कत्ल कर लिया. इस गंगवार में करीम लाला टूट गया और उसने दाऊद से दोस्ती कर ली और उसके वर्चस्व को स्वीकार कर अपराध की दुनिया को अलविदा कहा. वरदराजन पहले ही तमिलनाडु लौट चुका था. हाजी मस्तान भी अपराध की दुनिया छोड़कर सियासी दुनिया में जड़ जमाने के मंसूबे पालने लगा था. लिहाजा मुम्बई में दाऊद का एकछत्र राज हो गया. बाद में दाऊद मुंबई से दुबई जाकर वहां से अपनी अपराध की दुनिया को नियंत्रित करने लगा.
अरुण गवली
जब सभी अंडरवर्ल्ड डॉन या तो मुंबई छोड़ चुके थे या जुर्म की दुनिया तो मैदान में दो खिलाड़ी बचे— अरुण गवली और अमर नाइक. अमर नाइक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया और उसका भाई अश्विन नाइक गिरफ्तार कर लिया गया. मुम्बई की काली दुनिया का बेताज बादशाह बचा अरुण गवली. अरुण गवली मुंबई की दगड़ी चाल का रहने वाला था. बेंथान पैसा बना लेने के बाद भी गवली ने दगड़ी चाल को को नहीं छोड़ा बल्कि उसे अपने किले की तरह बना दिया. जहां गवली को डैडी बुलाने वाले चाल के लोगों में से कई उसके हथियारबंद सिपाहियों की तरह तैनात रहा करते थे. रंगदारी वसूलने वाले गवली को सुपारी किंग भी कहा जाता था. बड़े बिल्डरों और कारोबारियों के बीच उसका बहुत खौफ हुआ करता था. भ्रष्ट पुलिस वालों के बीच उसका अच्छा नेटवर्क था. जब उसे गिरफ्तार किया गया तो कई पुलिस वाले भी जांच के दायरे में आये. (Notorious Don of Mumbai Underworld)
पुलिस का दबाव बढ़ने के बाद अरुण गवली ने राजनीति में कूदने का मन बनाया. 2004 में उसने ‘अखिल भारतीय सेना’ नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कई उम्मीदवार उतारे. उसे लगता था कि विधायक बन जाने के बाद न पुलिस उसका कुछ कर पाएगी न दुश्मन. शिवसेना के कॉरपोरेटर कमलाकर जामसांडेकर की हत्या करने के जुर्म में उसे उम्रकैद की सजा हुई. गवली के जेल जाने के बाद पुलिस ने मुठभेड़ में उसके पूरे गैंग का सफाया कर दिया. गवली फिलहाल जेल की सलाखों के पीछे अपनी सजा काट रहा है.
अबु सलेम
अबू सलेम 1960 के दशक में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में सराय मीर गांव में पैदा हुआ. पिता की मौत के बाद उसे पढ़ाई छोड़कर मैकेनिक का काम करना पड़ा. जिंदगी के थपेड़े उसे दिल्ली ले आये. यहां भी उसने पहले मैकेनिक का काम किया और फिर टैक्सी चलाने लगा. आर्थिक स्थिति सुधारने की गरज से 80 के दशक में वह मुंबई पहुंचकर टैक्सी चलाने लगा. यहां उसकी मुलाकात दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी के लोगों से हुई और वह जुर्म की दुनिया में उतर गया. जल्द ही वह गैंग में तरक्की के रास्ते पर चल पड़ा.
उसके खिलाफ पहला मामला भले ही 1988 में मुंबई के अंधेरी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया हो लेकिन 1991 में उसे पहली बार गिरफ्तार किया गया. तब तक अबू सलेम दाऊद के गैंग में अपना ख़ास मुक़ाम बना चुका था. मुंबई में सीरियल ब्लास्ट का इल्जाम जब दाऊद गैंग के ऊपर आया तो दाऊद इब्राहिम और उसके गैंग ने दुबई में पनाह ली. अबू सलेम भी दुबई पहुंचकर दाऊद के भाई अनीस इब्राहिम के लिए काम करने लगा तब तक वह खुद भी एक बड़ा माफिया बन चुका था. आपसी रंजिश की वजह से 1998 में अबू सलेम दाऊद गैंग से अलग हो गया और धीरे-धीरे उनकी आपसी रंजिश गहरी होती चली गई. (Notorious Don of Mumbai Underworld)
भारत में मोस्ट वांटेड बन जाने के बाद सलेम के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया. 20 सितम्बर 2002 को उसे प्रेमिका मोनिका बेदी के साथ इंटरपोल ने पुर्तगाल में गिरफ्तार किया. तब से सालेम जेल में सजा काट रहा है.
जेल में बंद अबू सलेम अरबपति है. सीबीआई और पुलिस के मुताबिक उसकी कुल संपत्ति लगभग 4000 करोड़ रुपये की है.
बड़ा राजन
70-80 के दशक में मुंबई में बड़ा राजन के नाम से मशहूर हुआ राजन महादेव नायर. एक फैक्ट्री में काम कर रहे बड़ा राजन ने जल्दी पैसा बनाने के लालच में ब्रांडेड टाइपराइटर चुराकर चोर बाजार में बेचने के साथ अपने जुर्म की दुनिया के सफ़र की शुरुआत की. जल्द ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ा और जेल पहुंच गया. रिहा होने के बाद उसने फिल्मों के टिकट ब्लैक करना शुरू किया. करीब 17 साल की उम्र में वह छोटा राजन से मिला. गौरतलब है कि 70-80 के दशक में फिल्मों के टिकट ब्लैक करना मुंबई के गैंग्स की आमदनी का बड़ा स्रोत था. इस समय छोटा राजन और बड़ा राजन के इस गैंग का सरगना था बड़ा राजन. 80 के दशक की शुरुआत में बड़ा राजन मुंबई के डॉन वरदराजन मुदलियर की सरपरस्ती में काम करता था.
दाऊद इब्राहिम से सुपारी लेकर उसने उसके बड़े भाई के हत्यारों की हत्या की. अपराध की दुनिया में जब बड़ा राजन का कद बढ़ा तो दुश्मन भी बढ़े. इन दुश्मनों में एक था अब्दुल कुंजू. अब्दुल ने बड़ा राजन को कई बार मरवाने की कोशिश की. आखिर में उसने एक ऑटो ड्राइवर, चंद्रशेखर सफालिका को बड़ा राजन की 50 लाख की सुपारी दी और उसकी हत्या करवाने में कामयाब रहा. (Notorious Don of Mumbai Underworld)
छोटा राजन
1956 में मुंबई के चेंबूर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा हुए बच्चे का नाम रखा गया राजेन्द्र सदाशिव निखलजे. राजेन्द्र का मन पढ़ाई में जरा भी नहीं लगता था और वह कुसंगत पकड़कर जगदीश शर्मा उर्फ गूंगा गिरोह में शामिल हो गया. उसी दौरान चेंबूर और घाटकोपर इलाके में वरदा भाई के सहायक और मजदूर नेता रहे राजन नायर यानि कि बड़ा राजन से इसकी मुलाकात हुई. तब तक राजेन्द्र सदाशिव निखलजे राजन नाम से सिनेमा हॉल के टिकट ब्लैक करने के धंधे में उतर चुका था. बड़ा राजन ने इसे वरदराजन मुदलियर के साथ सोने की स्मगलिंग में लगा दिया. जल्द ही राजेन्द्र सदाशिव निखलजे बड़ा राजन का खास बन गया और गिरोह में दो राजन हो जाने की वजह से इसे छोटा राजन कहा जाने लगा.
1983 में बड़ा राजन की हत्या के बाद छोटा राजन दाऊद के करीब आया. दाऊद और छोटा राजन की दोस्ती गहराती गयी और 1988 में जब दाऊद दुबई भागा तब वह मुंबई के अपने काले कारोबार की बागडोर छोटा राजन को सौंप गया. 1992 आते-आते छोटा राजन और दाऊद में मतभेद होने लगे. मतभेद की वजह थी कि राजन दाऊद के बहनोई के कातिलों को मारने में नाकाम साबित हो रहा था. इसके बाद दाऊद ने छोटा राजन को किनारे कर अबु सलेम और मेमन बंधुओं को गिरोह की जिम्मेदारी सौंप दी. दाऊद और छोटा राजन के बीच दुश्मनी बढ़ती चली गयी और जल्द ही वर्चस्व की यह लड़ाई दोनों गिरोहों की खूनी जंग में तब्दील हो गयी.
छोटा शकील
भारत के मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची में शामिल शकील बाबूमियां शेख को छोटा शकील नाम से जाना जाता है. शकील दाऊद इब्राहीम के सबसे खास लोगों में शामिल है. दाऊद इब्राहीम का पैसा बॉलीवुड इंडस्ट्री में लगाने की वजह से छोटा शकील के कई फ़िल्मी हस्तियों से सम्बन्ध चर्चा में रहे हैं. मोस्ट वांटेड अपराधी छोटा शकील आजकल कराची, पाकिस्तान में रह रहा है. वह मुंबई बम ब्लास्ट के आरोपियों में से भी एक है. (Notorious Don of Mumbai Underworld)
एजाज लकड़ावाला
डी-कंपनी के गैंगमेंबर के रूप में अपने जुर्म का सफ़र शुरू करने वाला एजाज ने बाद में छोटा राजन के साथ मिलकर अपना एक अलग गैंग बनाया. जल्द ही अफवाह फैली कि दाऊद गैंग के साथ एक खूनी गैगवार में एजाज मारा जा चुका है. लेकिन कनाडा में 2004 में उसे गिरफ्तार किया गया. (Notorious Don of Mumbai Underworld)
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