1 मार्च से Paytm पर डिपॉजिट, ट्रांजेक्शन, वॉलेट और FASTag बंद हो जाएंगे लेकिन एक बार भारत की सबसे बड़ी फिनटेक कम्पनी के चीन कनेक्शन के बारे में तो जान लीजिए। नोटबंदी के बाद जिस तरीके से पेटीएम ने एक पेमेंट बैंक के रूप में जो अपनी पहचान बनाई और इतने कम समय में जो उन्नति की है उसके पीछे किसी बड़ी कंपनी का हाथ तो पहले से ही लग रहा था और सरकार भी इसके पक्ष में थी। विपक्ष के नेताओं ने कई बार इस पर टिप्पणी की। राहुल गांधी ने खुद कहा कि सरकार कुछ लोगों को मदद पहुंचा रही है पेटीएम कंपनी की जांच होनी चाहिए परंतु किसी ने उस वक्त इन चीजों पर ध्यान नहीं दिया पर अब सच्चाई सामने आ चुकी है। आईटी एक्सपर्ट अपूर्व के द्वारा कुछ जानकारियां बाहर निकल गई जिसको सोशल मीडिया पर भी साझा किया गया है। (Paytm Bank will be closed)
चीनी कम्पनी अलीबाबा की होल्डिंग वाली पेटीएम देश की सबसे बड़ी ई-पेमेंट कंपनी है, देश के अधिकांश लोग पेटीएम का मालिक विजय शेखर शर्मा को समझते है क्योंकि वही इस कंपनी के मुख्य प्रबंधक निदेशक भी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके पास कंपनी की कितनी हिस्सेदारी है? उनके पास कम्पनी की मात्र 15.7 फीसदी हिस्सेदारी ही है।
पेटीएम की मुख्य कंपनी का नाम है One 97 कम्युनिकेशन लिमिटेड, यह सिंगापुर की कम्पनी है। अब यही से सारा कन्फ्यूजन शुरू होता है क्योंकि अलीबाबा ने भी अपना निवेश चीन अपने नाम से न करके बल्कि उसने पेटीएम में निवेश अपनी एक सहयोगी कंपनी, जो सिंगापुर में रजिस्टर्ड है, उसके जरिए किया है। पेटीएम में निवेश करने वाली कंपनी का नाम है ‘अलीबाबा सिंगापुर होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड। (Paytm Bank will be closed)
अलीबाबा ने 2015 में पेटीएम में 41 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की थी। दरअसल तभी अलीबाबा के जैक मा भारत मे आये थे और मोदी जी से भी मिले थे। पेटीएम का असली उभार नोटबंदी के बाद से ही शुरू हुआ था। पेटीएम जो चीन के अलीबाबा की फंडिंग हासिल कर चुकी थी मोदी जी नोटबंदी के दूसरे दिन उसके पोस्टरबॉय बने हुए थे।
दरअसल पेटीएम के मॉडल को अलीबाबा कम्पनी के पेमेन्ट गेटवे अलीपे की ही तरह ही डेवलप किया गया था। 2018 में पेटीएम ई-कॉमर्स में अलीबाबा सिंगापुर की हिस्सेदारी कम होकर 36.31% हो गयी। मायासोशिसोन की सॉफ्टबैंक ने भी अपनी हिस्सेदारी प्रत्यक्ष तौर पर कंपनी में 20 प्रतिशत कर ली थी लेकिन चीन में भी दोनों कंपनियों की एक दूसरे में हिस्सेदारी है इसलिए यह मामला उलझा हुआ है।
पेटीएम के बाकी के शेयर एसएपी वेंचर्स, सिलिकॉन वैली बैंक, पेटीएम की मैनेजमेंट टीम और अन्य इनवेस्टर्स के पास हैं। एसएआईएफ पार्टनर्स इंडिया की हिस्सेदारी 4.66% है। 2017 में अनिल अंबानी के पास जो एक प्रतिशत शेयर पेटीएम का था उसे भी अलीबाबा ने खरीद लिया था, एक बड़ा हिस्सा अलीबाबा की ऐंट फाइनेंशियल के पास भी है यानी अगर स्पष्ट रूप से देखा जाए तो 2020 में भी चीनी अलीबाबा ग्रुप और उसकी सहयोगी ऐंट फाइनेंशियल के पास वन97 कम्युनिकेशंस के सबसे ज्यादा शेयर है। केवल दिखावे के लिए एक भारतीय को कम्पनी का मुख्य चेहरा बना रखा है जिससे भारतीयों को लूटा जा सके और लाभ कमाया जा सके।(Paytm Bank will be closed)
अलीबाबा की टीम ही पेटीएम के ऑपरेशन के रिस्क कंट्रोल कैपेसिटी को डेवलप करती है। जानकार लोग बताते हैं कि रिस्क कंट्रोल कैपेसिटी ही किसी भी ऑनलाइन कंपनी की बैक बोन यानी रीढ़ की हड्डी होती है।
PayTm कोई छोटी मोटी कम्पनी नहीं है बल्कि पिछले दिनों विजय शेखर शर्मा का एक साक्षात्कार प्रकाशित हुआ। इसमें उन्होंने दावा किया कि देश के ऑनलाइन भुगतान में अब भी पेटीएम की हिस्सेदारी 70 से 80 फीसदी हो गयी है। रेलवे की टिकट बेचने की जिम्मेदारी के लिए सिर्फ पेटीएम के पेमेंट गेटवे को ही अधिकृत किया है रेलवे के टिकट बिक्री में रोज करोड़ों नहीं अरबों का ट्रासिक्शन होता है इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी चीनी होल्डिंग वाली PAYTM को क्यों दी गयी सवाल तो खड़ा होता ही है ? (Paytm Bank will be closed)
कैसे चीनी कंपनियों से जुड़ी PAYTM देश की सबसे बड़ी फिनटेक कम्पनी बन गयी सवाल तो खड़ा होता है और सवाल तो ये भी खड़ा होता है कि यह सब जानते हुए आज सरकार PAYTM पर कैसे ओर किस प्रकार की कार्यवाही करेगी ? अब देखना है आने वाले समय में सरकार पेमेंट बैंक पर किस प्रकार लगाम लगाती है और विदेशी कंपनियां के प्रवेश पर क्या नियम कानून बनेंगे इसकी निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए। सिर्फ भारतीय कारोबारी का नाम होने से उस कंपनी पर विश्वास करना जायज नहीं है। भोली भाली जनता के साथ खिलवाड़ है।
–आशीष कुमार, ब्यूरो चीफ, इंडस न्यूज टीवी, प्रयागराज मंडल, उत्तर प्रदेश
लेखक आशीष कुमार इंडस न्यूज़ टीवी के प्रयागराज मंडल के ब्यूरो चीफ हैं। लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शोध छात्र हैं और सामाजिक विज्ञान में शोध कार्य कर रहे हैं। विभिन्न सामजिक राजनैतिक मुद्दों पर लेखक की अच्छी समझ और पकड़ है। लेखक विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर लगातार लिखते रहते हैं।
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