विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) समय-समय पर नियमावली में परिवर्तन करता रहता है। जिससे छात्र हित में निर्णय लिए जा सके और शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी बनाया जा सके व सभी की पहुंच सुनिश्चित की जा सके। कभी-कभी निर्णय संस्था के हित को पोषित करते हैं तो कभी-कभी छात्रों के हित को। तीन दिन पहले आए निर्देश में सभी विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया गया है कि आगामी सत्र 2024- 2025 से पीएचडी प्रवेश की एक ही परीक्षा हुआ करेगी। जैसा कि अवगत है यूजीसी नेट की परीक्षा वर्ष में दो बार दिसम्बर और जून में आयोजित करता है। जिसको दो कैटेगरी में बांटा गया था पहले कैटेगरी जेआरएफ यानी जूनियर रिसर्च फैलोशिप और नेट (पात्र सहायक प्राध्यापक) दूसरी कैटेगरी सहायक प्राध्यापक (असिस्टेंट प्रोफेसर) के लिए पात्र। यह व्यवस्था कई वर्षों से चलती आ रही थी। (UGC’s commendable step for students)
शिक्षाविदों ने संज्ञान लिया और पाया कि नेट और जेआरएफ होने के बावजूद भी छात्र पीएचडी में प्रवेश नहीं ले पा रहे हैं क्योंकि कहीं न कहीं प्रवेश प्रक्रिया में खामियां हैं जैसा कि मालूम है कि कई विश्वविद्यालय पीएचडी प्रवेश के लिए अलग से परीक्षा आयोजित करते हैं उस परीक्षा में जो छात्र नंबर पाते हैं उसके आधार पर प्रवेश होता है और जेआरएफ और नेट का कुछ वैटेज दिया जाता है। परंतु इस प्रक्रिया में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपने पसंदीदा छात्र को लेने की कोशिश करते हैं और इंटरव्यू में अच्छे नंबर देकर उसे परीक्षा पास करवाते हैं चाहे उस छात्र का नेट हो या न हो परंतु वह पीएचडी प्रवेश ले लेता है और नेट, जेआरएफ वाले बाहर हो जाते हैं कुछ विश्वविद्यालय का हाल इतना बुरा है प्रोफेसर को तैयार करो कि वह आपको शोध कार्य करवाने के लिए राजी हो जाए।वहां छात्र विषय में दक्ष होने के बजाय वह प्रोफेसरों के घर के चक्कर लगाने में माहिर हो जाता है और प्रवेश लेने से पहले वह प्रोफेसर को खुश करने में लगा रहता है। जिनके निर्देशन में अपना शोध कार्य करना चाहता है अगर प्रोफेसर ने कह दिया कि हम आपको ले लेंगे तो उसका प्रवेश पक्का हो गया। ऐसे में योग्य छात्र कहीं के भी नहीं रह जाते थे और जब प्रवेश परीक्षा नहीं हुआ करती थी तब पसंदीदा छात्रों का सीधे प्रवेश ले लिया जाता था और योग्य छात्र प्रवेश पाने से वंचित रह जाते थे। (UGC’s commendable step for students)
यूजीसी के इस निर्देश से अब योग्य छात्र ही प्रवेश के लिए बाध्य होंगे। अब यूजीसी नेट की परीक्षा की तीन कैटेगरी तैयार कर दी गई है। पहले कैटेगरी में जेआरएफ और सहायक प्राध्यापक व पीएचडी प्रवेश दूसरी कैटेगरी में सहायक प्राध्यापक व पीएचडी प्रवेश तीसरी कैटेगरी में पीएचडी प्रवेश केवल। पीएचडी में प्रवेश के लिए 70% अंक यूजीसी नेट की परीक्षा से और 30% अंक साक्षात्कार के जो विभिन्न विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कराया जाएगा के माध्यम से प्रवेश दिए जाएंगे। इस पर यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार का कहना है कि 13 मार्च को शिक्षाविदों की प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार निर्णय लिया गया है।इससे छात्रों को लाभ होगा। एक ही परीक्षा होने से छात्रों के वित्तीय भार में कमी आएगी और परीक्षा का दबाव भी कम होगा क्योंकि अलग-अलग परीक्षाएं होने से छात्रों का पैसा भी जाता है व समय भी जाता है उसके साथ परीक्षा का डर भी हमेशा लगा रहता है अब छात्र वर्ष में दो बार पीएचडी प्रवेश की परीक्षा भी दे सकेंगे। एक ही परीक्षा के माध्यम से वह नेट जेआरएफ और पीएचडी के लिए पात्र हो जाएंगे। अब योग्य छात्रों को किसी भी विश्वविद्यालय में प्रवेश मिल जाएगा और उन छात्रों को भी लाभ होगा जो नेट परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाते थे। एक दो नंबर से रह जाते थे अब वह इन नंबरों के आधार पर पीएचडी में तो प्रवेश ले लेंगे। अप्रैल माह में यूजीसी नेट की परीक्षा का नोटिफिकेशन आने वाला है इस परीक्षा से ही यह प्रक्रिया लागू हो जायेगी।
लेखक :आशीष कुमार इंडस न्यूज़ टीवी के प्रयागराज मंडल के ब्यूरो चीफ हैं। लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शोध छात्र हैं और सामाजिक विज्ञान में शोध कार्य कर रहे हैं। विभिन्न सामाजिक,राजनैतिक मुद्दों पर लेखक की अच्छी समझ और पकड़ है। इससे पूर्व लेखक के कई पत्र पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित हो चुके हैं।विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर लगातार लिखते रहते हैं।