Indus News TV Live

Wednesday, April 30, 2025
spot_img

उत्तराखण्ड : अंकिता भंडारी केस में अब तक क्या हुआ

नवरात्र से एक दिन पहले आखिर अंकिता भंडारी के शव का दाह संस्कार कर दिया गया. इससे पहले 24 तारीख़ को अंकिता का शव चीला नहर से बरामद हुआ था जिसे पोस्टमार्टम के बाद परिजनों के सुपुर्द किया गया. उत्तराखण्ड में सूर्यास्त के बाद शवदाह करने की परम्परा नहीं है, इसलिए उस रात शव श्रीनगर के बेस अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया. 25 तारीख़ को दिन भर अंकिता की बर्बर हत्या से आक्रोशित स्थानीय लोगों ने बाजार बंद रखा, चक्का जाम किया. परिजन भी सारा दिन अंकिता की पूरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी करने के बाद ही दाह संस्कार की मांग पर अड़े हुए थे. (Ankita Bhandari case)

सारा दिन पुलिस के आला अधिकारी परिजनों को मानने में जुटे रहे. डीजीपी समेत कई प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं ने अंकिता के पिता को फोन किये लेकिन वे नहीं माने. दरअसल शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या से पहले अंकिता की बुरी तरह पिटाई किये जाने की बात सामने आई थी.

यहां तक कि इस पिटाई से उसका एक दांत तक टूटा हुआ था. 25 तारीख़ की शाम जब मुख्यमंत्री ने अंकिता के पिता को दाह संस्कार के लिए मना लिया तब भी स्थानीय लोग इसके लिए तैयार नहीं थे. आखिर अंकिता के पिता को सारा दिन भूखे-प्यासे हाइवे पर डटे लोगों से अपील करनी पड़ी. उसके बाद देर शाम अंकिता का क्रियाकर्म किया जा सका.(Ankita Bhandari case)

अंकिता अकेली नहीं

पौड़ी गढ़वाल के डोम श्रीकोट की रहने वाली अंकिता भंडारी ने 12वीं की परीक्षा 88 प्रतिशत अंकों के साथ पास की. लेकिन मजबूरियां उन्हें घर से लगभग 130 किमी दूर ऋषिकेश के पास यमकेश्वर ब्लॉक में मौजूद वंतरा रिज़ॉर्ट ले आयीं.

उत्तराखण्ड के ढेरों ग्रामीण युवक-युवतियों के परिवारों की गरीबी उन्हें पढ़ाई छोड़ने को विवश कर नौकरी करने को धकेल देती है. 19 साल की अंकिता इन्हीं में से एक थीं. जिन्हें मात्र दस हजार रुपयों की नौकरी के लिए अपना घर छोड़कर अनजान शहर में अजनबियों के बीच आना पड़ा. पढ़ाई-लिखाई और दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करने की उम्र में अंकिता घर की जिम्मेदारियों का जुआ कंधे पर रखकर ऋषिकेश आ पहुंची.

यह रिज़ॉर्ट भाजपा नेता और पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य का है. पुलकित के भाई अंकित आर्य भी उत्तराखंड में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष थे, जिन्हें इस हत्याकांड के बाद पद से हटा दिया गया. यह रिज़ॉर्ट भी उत्तराखण्ड में कुकुरमुत्तों की तरह फैले अय्याशी के अड्डों में से एक था जहां 28 अगस्त को अंकिता ने रिसेप्सिनिस्ट के तौर पर ज्वाइन किया.(Ankita Bhandari case)

दरअसल इस रिज़ॉर्ट का उद्देश्य भी कारोबार करना नहीं बल्कि उन अय्याशों को विशेष सेवाएँ उपलब्ध कराकर ऑब्लाइज करना था जिन्हें ये गेस्ट कहा करते हैं. इनमें उत्तराखण्ड के शासन-प्रशासन के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोग भी हुआ करते हैं.

पर्यटन के नाम पर अय्याशी के अड्डे

शुरुआत में पुलकित आर्य समेत रिज़ॉर्ट के सभी कर्मचारियों का अंकिता के लिए व्यवहार अच्छा रहा. जल्द ही अंकिता पर यहां आने वाले अय्याशों की ज्यादतियां बर्दाश्त करने के साथ ही ‘विशेष सेवा’ के नाम पर वेश्यावृत्ति करने का दबाव बनाया जाने लगा. अंकिता ने इसका विरोध किया और इस बारे में अपने दोस्तों को जानकारी भी दी. इसी क्रम में 18 सितम्बर की शाम अंकिता को बहला-फुसलाकर रिज़ॉर्ट मालिक पुलकित ऋषिकेश की तरफ ले गया. अंकिता और पुलकित के साथ रिज़ॉर्ट मैनेजर सौरभ भास्कर और एक अन्य कर्मी अंकित भी था.

आधे से ज्यादा उत्तराखण्ड को नहीं है बुनियादी नागरिक सुरक्षा

19 सितम्बर की सुबह पुलकित आर्य ने खुद पटवारी को यह सूचना दी कि अंकिता भंडारी अपने कमरे में नहीं है. यहां यह जानना जरूरी है कि उत्तराखण्ड के 60 फीसदी पर्वतीय क्षेत्र को रेग्युलर पुलिस सेवा का लाभ नहीं मिलता. यह इलाका राजस्य पुलिस की देखरेख में है.(Ankita Bhandari case)

जहां पटवारी और कानूनगो संगीन अपराधों तक की जांच किया करते हैं. यहां न डायल 100 है, न चौकी, न थाना. 2018 में उच्च न्यायालय ने आदेश भी दिया कि पर्वतीय क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस बहाल की जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. खैर, एक पटवारी की उस रसूखदार भाजपा नेता के सामने क्या बिसात जिसके रिज़ॉर्ट में मंत्रियों तक का आना जाना हो समझना आसान है.

सोशल मीडिया ना होती तो क्या अंकिता को मिलता इंसाफ

20 तारीख़ को अंकिता के पिता ने पटवारी के पास गुमशुदगी दर्ज करानी चाही लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सोशल मीडिया और ‘छोटे-मोटे’ वेब पोर्टलों में अंकिता के गायब होने का मसला जोर पकड़ता गया. पूरे सोशल मीडिया में ‘जस्टिस फॉर अंकिता’ ट्रेंड करने लगा. इसी दबाव में आखिर 22 तारीख़ को मामले की जांच रेगुलर पुलिस को सौंपनी पड़ी. 23 तारीख को पुलिस ने खुलासा किया कि पुलकित आर्य, रिज़ॉर्ट मैनेजर सौरभ भास्कर और अंकित ने 18 सितम्बर की रात अंकिता की हत्या कर दी. अपनी पहली तनख्वाह से चंद खुशियाँ बटोरकर अपने परिवार की झोली में डाल सकने से पहले ही उसका जीवन समाप्त कर दिया गया. (Ankita Bhandari case)

वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेले जाने का विरोध किया तो छीन ली गयीं साँसे

उस शाम ये तीनों नाराज अंकिता को घुमाने-मनाने के बहाने ऋषिकेश की तरफ ले गए. वापसी में चीला नहर के पास तीनों ने शराब पी और रिज़ॉर्ट के ‘मेहमानों’ को विशेष सेवाएँ देने को लेकर, यहां भी अंकिता और पुलकित की बहस हुई और उसे बुरी तरह पीटने के बाद नहर में धक्का दे दिया गया. इस समय तक अंकिता इस रैकेट से निकलने के लिए छटपटा रही थी. मरने से पहले उसने इस बारे में अपने एक दोस्त से फोन पर लम्बी बात भी की और वाट्सएप चैट भी.

23 तारीख को ही पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. न्यायिक अभिरक्षा में ले जाए जाने के दौरान स्थानीय महिलाओं ने पुलिस वैन का घेराव किया. गाड़ी में बैठे तीनों आरोपियों की आक्रोशित महिलाओं ने पिटाई की और उनके कपड़े तक फाड़ दिए. यह आक्रोश ऋषिकेश में ही नहीं पूरे उत्तराखण्ड में दिखाई दिया.

23 तारीख़ की रात रिज़ॉर्ट में बुलडोजर फेरने के बाद मुख्यमंत्री और पुलिस ने ट्विट कर अपनी पीठ थपथपाई. लेकिन जल्द ही यह आरोप लगने लगे कि ऐसा साक्ष्य नष्ट करने के लिए किया गया है, तो प्रशासन कहने लगा कि रिज़ॉर्ट में बुलडोजर किसने चलाया इसकी हमें जानकारी नहीं है और इस मामले में जिलाधिकारी ने जांच बैठा दी. यहां गौरतलब है कि बुलडोजर चलाये जाने के दौरान स्थानीय भाजपा विधायक रेनू बिष्ट मौजूद थीं.

जनाक्रोश से बच न सके ‘जनप्रतिनिधि’

24 तारीख़ को अंकिता का शव आरोपियों द्वारा बतायी गयी वारदात की जगह पर नहर में मिला, जिसे ढूँढने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी. अंकिता का शव पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया तो पोस्टमार्टम हाउस के इर्द-गिर्द भारी भीड़ जमा हो गयी. लोगों ने राज्य महिला की अध्यक्ष को वहां से खदेड़ दिया. विधायक के खिलाफ नारेबाजी की और उनकी गाड़ी का शीशा तोड़ दिया. इसी दिन लोगों ने रिज़ॉर्ट में आग भी लगा दी.

अंकित आर्य के पिता और भाई को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया. अंकित आर्य को उत्तराखंड में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया. उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र की शांत वादियों में पसरे रिज़ॉर्टस के खिलाफ जांच का आदेश दे दिया गया, कुछ पर कार्रवाई भी हुई. विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को पर्वतीय क्षेत्रों में रेग्युलर पुलिस बहाल करने के आशय का पत्र भी लिखा. मामले की जांच के लिए उप महानिरीक्षक रेणुका देवी के नेतृत्व में स्पेशल जांच टीम का गठन किया गया. मुक़दमे को फास्ट ट्रैक पर ले जाने की घोषणा की गयी.

तमाम टोने-टोटकों के बावजूद लोगों का आक्रोश थामा नहीं जा सका. प्रदेश में जगह-जगह धरना प्रदर्शन हुए. कल देर शाम अंकिता का दाह संस्कार कराने में तो शासन कामयाब रहा. लेकिन इस हत्याकांड के बाद सुलगते सवालों को क्या ठंडा किया का सकेगा? (Ankita Bhandari case)


इसे भी पढ़ें : पंजाब की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में छात्र की खुदकुशी के बाद जमकर विरोध प्रदर्शन


(आप हमें फेसबुक पेजइंस्टाग्रामयूट्यूबट्विटर पर फॉलो कर सकते हैं)  

Related Articles

Recent