परीक्षित मिश्रा
बुरे आदमियों और खलनायकों को भी पढ़ना चाहिए या उनके बारे में जानना चाहिए, ताकि उनसे ये सीखा जा सके कि इस तरह की हरकतों का अंत और ऐसे लोगों का भविष्य क्या होता है? आम तौर पर राजनीतिक भक्तों से मनोरजंन करना प्रमुख शौक है। 1 मार्च को अहमदाबाद जाते समय बस में सोशल मीडिया पर ऐसे ही नेताओं से आनन्द लेते हुए ‘डिसकवरी प्लस’ का विज्ञापन आ गया। (Hitler’s Propaganda Minister Joseph)
उसमें ‘डार्क करिश्मा ऑफ हिटलर’ डॉक्यूमेंट्री का प्रोमो देखा तो तुरन्त सब्सक्रिप्शन ले लिया। ये लेते ही जब उसके तीनों भाग देखे तो मेरा साक्षात्कार दो महत्वपूर्ण चीजों से हुआ हिटलर के झूठ परोसने की आदत का और जोसेफ गोबेल्स व हिटलर की विफलताएं छिपाने के लिए उसके द्वारा बनाई जाने वाली मूवीज का।
जोसेफ गोएबल्स का एक जुमला काफी प्रसिद्ध है कि ‘एक झूठ को सौ से ज्यादा बार बोलो तो वो सच लगने लगता है।’ भारत का दक्षिण पंथी सन्गठन को गोएबल्स की इस थ्योरी पर चलते हुए तो देखा। लेकिन, इस डॉक्यूमेंट्री में गोएबल्स का जो दूसरा शौक बताया उससे शायद कम ही लोग वाकिफ होंगे। वो था हिटलर की विफलता छिपाने और ध्यान भटकाने के लिए सिनेमा का इस्तेमाल। (Hitler’s Propaganda Minister Joseph)
ये सुनते ही चार साल पहले भारत में रिलीज एक मूवी आंखों के सामने तैर गई, ये गोएबल्स की उस थ्योरी पर भी चलते हुए दिख गए। इसे जानने के बाद ये भी लगा कि हिटलर के इस विफल प्रयास की नकल भी भारतीय दक्षिण पंथी सन्गठन 4 साल से करता नजर आया। जब हिटलर के प्रोपेगैंडा मंत्रालय से जुड़े कुछ जर्नल और आर्टिकल्स पढ़े तो जानकारी मिली कि गोएबल्स खुद एक कहानीकार था। एक प्रोड्यूसर और डायरेक्टर भी इसलिए उसे नाजी फिल्मकार कहा जाता था।
हिटलर के चान्सलर बनने के बाद 1935 के करीब न्यूरेम्बर्ग में एक मार्च हुआ, जिसमें हिटलर शामिल हुआ था। गोएबल्स ने इसे शूट कर लिया, फिर इसका इस्तेमाल हिटलर पर एक डॉक्यूमेंट्री ‘the truimph of will’ बनाई। इसमें हिटलर को जर्मनी का उद्धार करने के लिए हवाई जहाज से आसमान से उतरा हुआ नेता बताया गया, वो हवाई जहाज भी जर्मनी के एक इंडस्ट्रलिस्ट का था। (Hitler’s Propaganda Minister Joseph)
लेकिन, जर्मनी का दक्षिणपंथी सन्गठन नाजी पार्टी के प्रोपेगैंडा मंत्रालय की ये पहली मूवी नहीं थी. लेकिन हां, पहली सफल मूवी जरूर थी, पहली मूवी 1927 में बनी थी ‘सिम्फोनी ऑफ विल टू फाइट’ ये भी हिटलर पर ही थी, लेकिन ज्यादा सफल नहीं हुई। इसमें प्रोपेगेंडा राष्ट्रवाद दिखाया। इसमें हिटलर और नाजी पार्टी भी अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन सबको लाल आंख दिखा कर उनपर कब्जा कर लेने का दिवास्वप्न दिखाया गया।
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द्वितीय विश्व युद्ध से पहले 1927 से 1939 तक नाजी प्रोपेगेंडा मंत्रालय के प्रमुख और नाजी फिल्मकार गोएबल्स ने करीब 33 मूवी बनाई गई। जिसके केंद्र बिंदु हिटलर और नाजी पार्टी थे, नाजी प्रोपेगण्डा पर लिखे एक आर्टिकल ‘वर्ड एस वीपन’ के अनुसार इसके अलावा इनमे पड़ोसी देशों और दूसरी राजनीतिक पार्टियों के लोगों के खिलाफ भी जहर उगला गया था। लेकिन, हिटलर के शासन में आने के बाद बनी truimph of will सबसे सफल रही, जिसने सिनेमा हाल में लोगों को खींचा। ये जोसेफ गोएबल्स के दिमाग की उपज थी। (Hitler’s Propaganda Minister Joseph)
वॉर टाइम में 1939 से 1945 तक 44 मूवी बनाई। इसमें हर मूवी में लोगों को जर्मनी की गिरती स्थिति के बारे जानकारी नहीं पहुंचे ऐसी कोशिश की गई। आर्यन जर्मन नस्ल को सबसे श्रेष्ठ बताते हुए पड़ोसी देशों पर हमला करने और जर्मनस के अलावा अन्य लोगों का उत्पीड़न करने को अपना अधिकार बताया गया। मतलब ये मूवीज राष्ट्रवाद और धर्म के नाम पर नस्लीय भेद बढाने के उसके एजेंडे पर निर्भर थी।
जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय स्थिति से नावाकिफ जर्मनस हिटलर को अपना भगवान मानते रहे और इसी उत्साह में हिटलर ने रशिया से हुई संधि को तोड़कर रशियन का नरसंहार करने को आर्यन जर्मन का हक मान लिया। वो सर्दियों से पहले रूस में काफी अंदर तक घुस गए। लेकिन, जब लाल सेना जागी तो परिणाम उलट गए। स्टेलिनगार्ड में हुए युद्ध में जर्मन्स मारे गए, लाखों बंदी बना लिए गए। उनकी हार हुई लेकिन इन्हीं फिल्मों के माध्यम से हिटलर और गोएबल्स हार को भी जस्टिफाइ करते हुए जर्मन्स को नस्लभेद की आग में झोकते गए। (Hitler’s Propaganda Minister Joseph)
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रेड आर्मी स्टेलिन गार्ड में हिटलर को हराकर अब जर्मनी में घुस चुकी थी और जिस तरह से जर्मन्स के भड़काकर हिटलर ने दूसरे लोगों का संहार करवाया था, वैसे ही लाल सेना ने जमकर जर्मन्स का नरसंहार किया। उधर फ्रांस और ब्रिटेन भी अपने हारे हुए इलाकों को पाने के लिये संगठित होकर जर्मनी और चढ़ गए।
हिटलर के अतिवाद की कीमत जर्मन्स को चुकानी पड़ी और जर्मन्स के बीच नस्लभेद तथा अल्पसंख्यक उत्पीड़न के लिए शेखी बघारने वाला हिटलर इतना डरपोक निकला कि खुद पकड़े जाने के डर से जर्मन्स को उनके हाल पर छोड़कर स्टेलिन गार्ड की हार के बाद लाल सेना और ब्रिटेन व फ्रांस द्वारा पकड़े जाने के डर से आत्महत्या कर लिया। (Hitler’s Propaganda Minister Joseph)
स्टेलिन गार्ड युद्ध में हार के बाद हिटलर के प्रोपेगेंडा मंत्री जोसफ गोएबल्स ने कोलबर्ग मूवी रिलीज की। लेकिन अब जर्मन्स को हिटलर के प्रोपेगेंडा का पता चल चुका था। हिटलर के प्रोपेगेंडा मंत्रालय द्वारा सिर्फ झूठ बोले जाने की पोल खुल चुकी थी।
हिटलर के आत्महत्या के तीन दिन बाद जोसेफ गोएबल्स ने अपने 6 बच्चों और पत्नी को जहर देकर खुद भी आत्महत्या कर ली लेकिन, इनके खत्म होने तक दोनो ने डेढ़ करोड़ जर्मन्स को मौत के मुंह में धकेल दिया था। जर्मन्स की आंखें खुली तो आज वहां न हिटलर का कोई नाम लेवा है न ही उसकी नाजी पार्टी का। (Hitler’s Propaganda Minister Joseph)
गोएबल्स के प्रोपेगेंडा मंत्रालय द्वारा बनाई गई करीब 80 मूवी में से दो मूवी थी suss the jew और the eternal jew। ये मूवी जर्मनी में रह रहे यहूदियों के खिलाफ लोगों को भड़काने के लिये बनाई गई थी। अब न तो उस नेता का कोई नाम लेवा है ना संगठन का हिटलर की मौत के बाद राष्ट्रवाद और दक्षिणपंथी संगठन नाजी पार्टी के ताबूत में कील ठोककर जर्मनी अब ऑटो मोबाइल इंडस्ट्रीज का सिरमौर है।
हिटलर की मृतात्मा को तड़पाते हुए हिटलर की गलती से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विभाजन के बाद बने ईस्ट और वेस्ट जर्मनी का भी एकीकरण करके जर्मन्स ने नए जर्मनी का निर्माण कर दिया। (Hitler’s Propaganda Minister Joseph)
(लोक माध्यम से साभार)